कोर्ट के आदेश पर दंडाधिकारी सहित भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मिला मकान पर कब्जा
रांची। रांची के चुटिया के रहने वाले मुन्नी चौबे को न्याय के लिये 35 साल भटकना पड़ा। अपने ही मकान से 35 साल तक बेदखल रहने के बाद कोर्ट के आदेश से उन्हें बुधवार को कब्जा मिल ही गया।
मुन्नी चौबे के बेटे अंकित चौबे से मिली जानकारी के मुताबिक उनके दादा जोखन चौबे ने वर्ष 1983 में गुलराज सरावगी से एक मकान खरीदा था। उसके बाद अनिल के पिता स्व जगत नारायण सिंह व उनके भाई गिरजा सिंह उक्त मकान में किरायेदार की हैसियम से रहने लगे। कुछ सालों के बाद जब उन्हें मकान खाली करने को कहा गया तो उन्होंने इंकार कर दिया और मारपीट पर उतार आये। मुन्नी चौबे ने अपने मकान को खाली कराने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। सिविल कोर्ट से उन्हें 2001 में डिग्री मिली, लेकिन सिंह ने कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए मकान पर कब्जा जमाये रखा। इसके बाद दोबारा वर्ष 2010 में उन्हें कोर्ट से डिग्री मिली, फिर भी सिंह परिवार ने मकान खाली नहीं किया। इसके बाद मामला उच्च न्यायालय में चला। इसके बाद वहां से चौबे को डिग्री मिली और अनिल सिंह केस हार गये। वर्ष 2015 में भी मुन्नी चौबे के पक्ष में ही फैसला आया। छह जुलाई 2019 को कोर्ट से हुए आदेश के बाद दंडाधिकारी की मौजूदगी में पुलिस कब्जा दिलाने के लिये मौके पर पहुंची थी, लेकिन अनिल सिंह के परिवार ने दखल दिलाने गये लोगों के साथ मारपीट कर मौके से भगा दिया था। सरकारी कर्मचारी के साथ मारपीट करने व सरकारी काम में बाधा डालने को लेकर अनिल सिंह, गिरजा सिंह, सुनील सिंह, रोहित सिंह और विनय सिंह सहित अन्य के खिलाफ चुटिया थाने में मामला दर्ज कराया गया, जिसमें सभी की कोर्ट से जमानत खारिज हो गयी। तभी से सभी आरोपित फरार चल रहे हैं। इसी मामले में बुधवार को कोर्ट के आदेश पर दंडाधिकारी की मौजूदगी में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनात कर मकान पर मुन्नी चौबे के परिवार को कब्जा दिलाया गया।
चुटिया निवासी मुन्नी चौबे के बेटे अंकित चौबे ने बताया कि उनका परिवार अभी भी सिंह परिवार के आतंक से दहशत में है। जब भी कोर्ट से उनके पक्ष में फैसला आया है, तब उनके परिवार के साथ मारपीट की गयी है और जान मारने की भी धमकी दी गयी।
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