रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही मंगलवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। सत्र के अंतिम दिन सदन ने कई विधेयकों को मंजूरी प्रदान की। जबकि कोरोना महामारी से उत्पन्न समस्या पर भी विशेष चर्चा हुई। वहीं सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को प्रश्नोत्तर कॉल की कार्यवाही पूरी तरह से बाधित रही। भाजपा सदस्यों की हंगामे की कारण विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कायवाही को पूर्वाहन 11ः27 पर अपराहन 12ः30 तक के लिए स्थगित कर दी।
विधानसभा की कार्यवाही पूर्वाह्न 11ः00 बजे शुरू होने पर भाजपा के बिरंची नारायण ने पिछले दिनों राजधानी रांची के लोअर बाजार स्थित पुलिस गेस्ट हाउस में एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कार्य स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग की। भाजपा के ही अमर कुमार बाउरी ने झारखंड हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के आलोक में युवाओं के समझ बेरोजगारी का संकट उत्पन्न होने के मामले पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा कराने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष ने दोनों कार्य स्थगन प्रस्ताव को अमान्य कर दिया। इसके बाद भाजपा के कई सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। इस दौरान भाजपा विधायक रणधीर कुमार सिंह के व्यवहार से क्षुब्ध होकर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें मार्शल आउट करने का निर्देश दिया। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि दुष्कर्म की घटना को लेकर उन्होंने डीजीपी से बात की है और दोपहर बाद पूरी रिपोर्ट लेकर सदन को अवगत कराएंगे। इस बीच भाजपा के कई सदस्य फिर से वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे। इसके कारण विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को दोपहर 12ः30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर कांग्रेस की दीपिका पांडेय सिंह ने ध्यानाकर्षण सूचना पर सरकार से संतोषजनक जवाब देने की मांग की। लेकिन भाजपा के कई सदस्य फिर से वेल में आकर नारेबाजी करने लगे और इस संबंध में मुख्यमंत्री से वक्तव्य देने की मांग की। भाजपा सदस्यों के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा-जैसी करनी वैसी भरनी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में एक राज्य को दो हिस्सों में बांटने की कोशिश की गयी थी, सरकार अदालत के आदेश की समीक्षा करेगी और समीक्षोपरांत कोई निर्णय लेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड कोर्ट ने पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली को लेकर आदेश दिया गया है, इससे हजारों लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया स्थगित हो गयी है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने वह काम भी किया गया, संविधान जिसकी अनुमति नहीं देता है।
हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछली जेपीएससी में सी-सैट परीक्षा के एक मसले को लेकर उनसे भी गलती हुई थी, उन्होंने उस भूल को स्वीकार किया था और सुधार का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार में नियोजन नीति के नाम पर गैर आरक्षित जिलों में नियुक्ति के लिए उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार के युवाओं के लिए रास्ता खोल दिया गया, इससे राज्य में रहने वाले सामान्य वर्गको काफी नुकसान उठाना पड़ा, इस बात की तकलीफ उन्हें भी है, अब सरकार मामले का आकलन करेगी और समीक्षोपरांत फैसला लेगी।
मुख्यमंत्री ने दीपिका पांडेय सिंह के एक प्रश्न के उत्तर में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि राज्य सरकार पाइप लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण के बदले किसानों तथा रैयतों को उचित मुआवजा उपलब्ध कराने के पक्ष में है। इसके लिए आवश्यक कदम उठाये जाएंगे। इस बीच भाजपा के कई सदस्य बाबूलाल मरांडी को भी अपनी बात रखने का अवसर देने की मांग को लेकर वेल के निकट आ गये। हंगामे की स्थिति को देखते हुए आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
भोजनावकाश के बाद सभा की कार्यवाही शुरू होने पर सदन ने झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी संशोधन विधेयक 2020, दंड प्रक्रिया संहिता (झारखंड संशोधन) विधेयक 2020, झारखंड खनिज धारित भूमि पर (कोविड-19 महामारी) उपकर विधेयक 2020, झारखंड माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2020, झारखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन संशोधन विधेयक 2020, झारखंड मूल्य कर संशोधन विधेयक 2020, मोटर वाहन कारारोपण संशोधन विधेयक 2020 और झारखंड राज्य भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) परिषद विधेयक 2020 को मंजूरी प्रदान कर दी गयी। हालांकि झारखंड खनिज धारित भूमि पर (कोविड-19 महामारी) उपकर विधेयक 2020 और मोटर वाहन कारारोपण संषोधन विधेयक 2020 को भाजपा विधायकों ने प्रवर समिति को सौंपने की मांग की, जबकि झारखंड राज्य भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) परिषद विधेयक 2020 पर भाजपा के रामचंद्र चंद्रवंशी समेत अन्य कई सदस्यों ने विभिन्न संसोधन के प्रस्ताव दिये, जिसे अस्वीकार करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी गयी।
सत्र के अंतिम कोरोना महामारी संकट से उत्पन्न स्थिति पर एक घंटे की विषेष चर्चा हुई। चर्चा की शुरुआत करते हुए विधायक प्रदीप यादव ने महामारी के शिकार आश्रितों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने की मांग की। इस चर्चा में झामुमो के लोबिन हेम्ब्रम , भाजपा के सीपी सिंह, कांग्रेस के राजेष कच्छप, आजसू पार्टी के लंबोदर महतो और विधायक बंधु तिर्की ने भी हिस्सा लिया।
विशेष वाद-विवाद पर सरकार की ओर से जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि कोरोना काल में जनकल्याण के लिए काम करने वाले कोरोना योद्धाओं की हुई मौत को वह शहीद का दर्जा देते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर भयभीत होने की जरूरत नहीं है, राज्य में स्वस्थ होने वाले मरीजों की दर अच्छी है और मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। मंत्री के उत्तर के दौरान नाराज होकर भाजपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया । सत्र के अंत में पक्ष-विपक्ष के कई सदस्यों द्वारा गैरसरकारी संकल्प भी पेश किया गया। बाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोरोना काल में सरकार की उपलब्धियों की विस्तार से चर्चा की और कहा कि कुछ नेता सब कुछ कोर्ट से कराते हैं। सब कुछ कोर्ट से चलाते हैं तो राज्य को भी कोर्ट से चलाओ लोकसभा और राज्यसभा की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा कि तबलीगी जमात को बलि का बकरा ना बनाया जाए यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि कोर्ट का कहना है। कोरोना काल में मनरेगा से सात लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।