नई दिल्ली. केंद्र सरकार शुरुआत में वैक्सीन पर 18,000 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है, कोरोना वैक्सीन के 1 डोज पर 210 रुपये खर्च आने की संभावना है. माना जा रहा है कि पोलिंग बूथ की तरह टीमों का गठन होगा. ब्लॉक लेवल पर रणनीति तैयार की जाएगी. सरकारी और निजी डॉक्टरों को इस अभियान की विशेष जिम्मेदारी दी जाएगी. साथ ही जनभागीदारी के प्रयास के साथ-साथ उन्हें जरूरी प्रशिक्षण दिया जाएगा.
भारत में बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाए जाते हैं, यहां दुनिया भर की 60 प्रतिशत वैक्सीन बनती हैं और यहां आधे दर्जन वैक्सीन निर्माता मौजूद हैं, जिनमें दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल है. इसमें हैरानी की बात नहीं कि भारत सरकार अरबों लोगों तक कोविड-19 की वैक्सीन पहुंचाने की इच्छा रखती है. भारत की अगले साल जुलाई तक वैक्सीन की 50 करोड़ डोज़ बनाने और 25 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने की योजना है.
सूत्रों ने बताया कि पहले चरण में 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण होगा. वैक्सीन के दो डोज लगाने होंगे. ऐसे में इसकी एक डोज पर 210 रुपये और दो डोज पर 420 रुपये का खर्च आने की संभावना है. बड़ी संख्या में टीकाकरण पर 50 हजार करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है. हालांकि, अभी तक कोरोना वैक्सीन की कीमत तय नहीं हुई है.
सूत्रों ने बताया कि सरकार के मिशन वैक्सीन के अनुसार शुरुआत में 30 करोड़ वैक्सीन भारत में लगाने का प्लान है. प्राथमिकता के आधार पर हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और सीनियर सिटिजंस को वैक्सीन देने की तैयारी है. पहले चरण में वैक्सीन जिन्हें लगेगी उन्हें SMS के जरिए टीकाकरण की तारीख, समय और जगह बताई जाएगी. मैसेज में टीका देने वाले संस्थान और हेल्थर वर्कर का नाम भी होगा.
वैक्सीन के कितने डोज जरूरी
अभी तक जितनी भी वैक्सीन फाइनल स्टेज में पहुंची हैं, सभी के दो डोज लगाए गए हैं. इसलिए माना जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन के लिए दो डोज जरूरी हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय भी जिस तरह से वैक्सीन की तैयारी कर रहा है, उससे भी ये अंदाजा लगाया जा रहा कि वैक्सीन की दो डोज जरूरी होंगी.
टीकाकरण की मॉनिटरिंग कैसे
सही समय पर दोनों डोज लगाने के लिए मंत्रालय ने कोरोना वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क तैयार किया है. ये 2015 में शुरू किए गए इलेक्ट्रानिक वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क का बदला हुआ स्वरूप है. करोड़ों बच्चों तक बिना किसी रुकावट के वैक्सीन पहुंचाने में ये सिस्टम बहुत कारगर साबित हुआ है. इसके जरिए पहली डोज दिए जाने के बाद, दूसरी डोज के लिए SMS भेजा जाएगा. जब टीकाकरण पूरा हो जाएगा तो डिजिटल QR आधारित एक सर्टिफिकेट भी जेनरेट होगा. ये सर्टिफिकेट वैक्सीन लगने का सबूत होगा.
सभी लोगों को कब मिलेगी वैक्सीन
आम आदमी तक वैक्सीन पहुंचने में अभी करीब-करीब पांच से छह महीने का वक्त लग जाएगा. क्योंकि अभी तक जितनी भी वैक्सीन तीसरे चरण के ट्रायल में सफल हुईं हैं उन सभी का मास प्रोडक्शन अगले साल ही शुरू होने की उम्मीद है. हालांकि मोदी सरकार ने अभी से राज्यों को वैक्सीन के लिए कोल्ड स्टोरेज चेन स्थापित करने के लिए कहा है.