देहरादून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक एवं राष्ट्रीय मुस्लिम मंच प्रभारी इन्द्रेश कुमार ने कहा कि अब पूरा कश्मीर हमारा है। इसलिए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से पाकिस्तान खेलना बंद करे। लाहौर बिना हिन्दुस्तान अधूरा है, इस संकल्प के साथ अब हमें आगे बढ़ना होगा।
रविवार को देहरादून स्थित संघ के प्रांतीय मुख्यालय भाऊराव देवरस कुंज में आयोजित गुरु दक्षिणा कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता इन्द्रेश कुमार ने यह बात कही। इस दौरान कुमार ने कहा कि कश्मीर पर सरकार का निर्णय साहसिक है। अनुच्छेद 370 के पैरोकार भारत विभाजन के पक्षधर हैं। इसलिए ऐसे लोगों को देश सहन नहीं करेगा।
इन्द्रेश कुमार ने हर वक्त कश्मीर का राग अलापने वाला पाकिस्तान बोल रहा है कि कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है, ऐसे में ‘‘हमें भी अब कहना होगा कि लाहौर के बिना भारत अधूरा है। अब,’हम सभी पूरे परिवार के साथ प्रतिदिन इसी संकल्प के साथ काम करेंगे।’ उन्होंने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर से पाकिस्तान खेलने की आदत छोड़े। अब समय बदल रहा है हम एक साथ कई मोर्चे पर काम कर रहे हैं। हमारा ध्येय विकास के साथ राष्ट्र सुरक्षा भी। यही हमारा मूलमंत्र है। उनका कहना है कि 70 साल में पहली बार देश की किसी सरकार ने कश्मीर को लेकर स्पष्ट नीति अपनाई है। अब कश्मीर की बात नहीं होगी बल्कि पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान से उसकी आजादी की बात होगी।
आरएसएस प्रचारक ने कहा, ‘‘अब भारत को गुलाम बनाकर नहीं रख सकती। भारत बदल रहा है। भारत की यात्रा योग निरोग के उद्घोष के साथ स्वच्छता की ओर आगे बढ़ रही है। अब बदलते परिवेश में देश का युवा जागरुकता की राह पर चल पड़ा है।’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के हाथों में देश की एकता व अखंडता सुरक्षित है। इस स्वाभिमान और सम्मान के भाव को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बलूचिस्तान, बाल्टिस्तान, गिलगित, सिंध, मुजफ्फराबाद जैसे राज्य आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं। पाकिस्तान को चाहिए कि वह कश्मीर में आग लगाना बंद करे और अपने घर की आग बुझाएं।
संघ स्वार्थ का संगठन नहीं परमार्थ का मार्ग है
संघ प्रचारक ने गुरु दक्षिणा और समर्पण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ स्वार्थ नहीं परमार्थ के मार्ग पर चलता है। इसलिए हमारा गुरु भगवा ध्वज है। व्यक्ति और तंत्र मंत्र की यहां कोई जगह नहीं है। इसलिए व्यक्ति का जीनवन मूल्यविहीन नहीं मूल्ययुक्त होना चाहिए। हमारी संस्कृति स्वाभिमान और सम्मान की है। हम जब एकता, प्रेम, शांति जैसे जीवनमूल्यों के साथ जीते थे तब न गरीबी थी न ही कोई अत्याचार-व्यभिचार था। हमें अपने पारम्परिक मूल्यों की ओर लौटने के मार्ग को देखना होगा। वही जीवन मूल्य हमें भारतीय बना पाएगा।
भारतीय संस्कृति की संवाहक है महिलाएं
इन्द्रेश कुमार ने कहा कि पश्चिमी और भारतीय सभ्यता में बहुत अंतर है। ईश्वर से पश्चिम के लोग डरते हैं, हम भावना रखते हैं। भारतीय संस्कृति की महिलाएं संवाहक हैं। भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बेटी, बहू और मां पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करती हैं। उन्हें जाति-धर्म में नहीं बांटा जा सकता। जो लोग उनकी भूमिका को नगण्य मानते हैं, उन्हें उनकी महत्ता समझनी होगी।रसोई से लेकर देश और समाज को दिशा देने तक हर कहीं महिलाओं ने अपनी योग्यता-क्षमता साबित की है। देश और समाज का मान बढ़ाया है। महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि छूआछूत की भावना इंसानियत के खिलाफ है।