नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी का सत्य और अहिंसा का दर्शन पूरी दुनिया के लिए उपयोगी है। उन्होंने कहा कि गांधी के विचार धर्म, नस्ल और भाषा के आधार पर मतभेदों से निपटने के लिए मौजूदा समय में भी प्रासंगिक हैं।
राष्ट्रपति कोविंद ने उक्त बातें गुरुवार को अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में अंहिसा विश्व भारती संस्थान की ओर से ‘अध्यात्म द्वारा समाज मानवता का उत्थान’ विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि गांधीवादी मूल्य विश्व के सामने आने वाले समसामयिक मुद्दों, जैसे कि आतंकवाद, अराजकता की हिंसक वारदात, भ्रष्टाचार और अनैतिकता, आर्थिक, धार्मिक और नस्ल व भाषा के आधार पर हो रहे मतभेद तथा जलवायु परिवर्तन जैसी अनेक चुनौतियों का सामना करने में आज भी प्रासंगिक हैं। ऐसे में उनके सुझाय रास्ते पर चलना आधुनिक विश्व समुदाय के लिए सहायक सिद्ध होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि गांधी की आध्यात्मिक सोच का दायरा बहुत व्यापक है। विश्व में शांति और अंहिसा स्थापित करने के लिए आध्यात्मिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार बहुत जरूरी है। इस तथ्य को गांधी ने बहुत गहराई से समझा था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि सत्य, अंहिसा, शांति और सद्भाव पर आधारित व्यवस्थाओं के बल पर ही मानव समाज का उत्थान संभव है। गांधी के ये विचार आज भी प्रासंगिक हैं और सदैव प्रासंगिक रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी युवा है। उन्होंने कहा कि तमाम युवाओं को महात्मा गांधी के विचारों से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंन कहा कि आज की युवा पीढ़ी को गांधी के विचारों से जोड़ना हमारे समाज को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इसे मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया। उन्होंने कहा कि प्रकृति के प्रति संवेदनशील नहीं रहने के कारण आज पूरे विश्व को जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसे हम लोग अभी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय और आधिकारित मंत्री थावरचंद गहलोत और अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य लोकेश मुनि सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।