नई दिल्ली। एक शोध में दावा किया गया है कि सैलामैंडर की तरह, मनुष्यों के पास अपने शरीर के कुछ हिस्सों जैसे खोए हुए अंग को पुन: उत्पन्न करने की क्षमता होती है.
प्रयोगशाला में इसपर रिसर्च करने के बाद विशेषज्ञों को इस निष्कर्ष तक पहुंचने में मदद मिली कि मनुष्यों में खोए हुए अंग को फिर से उत्पन्न करने की ‘अप्रयुक्त’ क्षमता है.
रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने यह समझने पर ध्यान केंद्रित किया कि
- एक्सोलोटल में चोट का कोई निशान क्यों नहीं बनाता है या, चोट पर उसी तरह प्रतिक्रिया क्यों नहीं करता है जैसे कि चूहा और अन्य स्तनधारी करते हैं.
- डॉ जेम्स गॉडविन और उनके सहयोगियों ने एक्सोलोटल सैलामैंडर में चोट लगने के बाद आणविक सिग्नलिंग की तुलना एक वयस्क चूहे से की, जिसमें पुनर्जनन क्षमता सीमित है.
- गॉडविन ने समझाया कि खोए हुए या घायल शरीर के अंगों को पुन: उत्पन्न करने के बजाय, स्तनधारी आमतौर पर चोट लगने वाले स्थान पर एक निशान बनाते हैं, जो पुनर्जनन में बाधा उत्पन्न करता है.
उन्होंने कहा, ‘हमारे शोध से पता चलता है कि मनुष्यों में पुनर्जनन की अप्रयुक्त क्षमता है,’
उन्होंने कहा कि चोट के निशान बनने की समस्या को हल करने से उस गुप्त पुनर्योजी क्षमता को अनलॉक किया जा सकता है. इस मुद्दे पर शोध पेपर डेवलपमेंटल डायनेमिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ था.