झारखन्ड सरकार झूठे वादे करके सत्ता हासिल कर पारा शिक्षकों के साथ वादाखिलाफी कर रही है और उनके स्वाभिमान को कुचल रही है।
उक्त बातें एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के जिला महासचिव सुखदेव हाजरा ने देवरी में आयोजित पारा शिक्षकों की बैठक में अपने संबोधन में कही
उन्होंने कहा कि झारखन्ड में खनिज संपदाओं की कोई कमी नहीं है बावजूद झारखन्ड सरकार झारखन्ड के युवाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है जो काफी शर्म की बात है, पारा शिक्षकों के त्याग, समर्पण, बलिदान एवं कर्मठता तथा दक्षता के बल पर पूरे झारखंड को शिक्षा के क्षेत्र में अब्बल दर्जा दिलाने का काम किया है फिर भी उनकी अस्मिता की हिफाजत करने, उन्हें वेतनमान देने से मुकर रही है।
अगर 15 अगस्त तक पारा शिक्षकों के साथ किए गए वादों को पूरा नहीं करती है उन्हें वेतनमान देने से इंकार करती है तो 16अगस्त के बाद से झारखन्ड में पारा शिक्षक विशाल आन्दोलन करेंगे ।
08अगस्त1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के तर्ज पर झारखंड में भी करो या मरो जैसी क्रांति की गूंज उठेगी
प्रखण्ड अध्यक्ष उमेश प्रसाद राय ने कहा कि अलग झारखन्ड गठन के बाद से ही यहां के युवा छले जा रहे हैं जितनी भी सरकारें बनी है सभी सरकारों ने झारखंड के पारा शिक्षकों के साथ गद्दारी करने का काम की है।
जो काफी असंवैधानिक कदम है झारखंड के पड़ोसी राज्यों में पारा शिक्षकों को वेतनमान के साथ बेहतर सुविधाएं दे रही है परंतु झारखंड में क्यों नहीं।
पारा शिक्षकों को आंदोलन करने का शौक नहीं सरकार हमें आंदोलन करने को बाध्य करती है
इस बार का आन्दोलन काफी ऐतिहासिक एवं उग्र होगा जिसकी सारी जवाबदेही झारखन्ड सरकार की होगी।
मौके पर मुख्य रूप से उमा शंकर सिन्हा, जागेश्वर प्रसाद यादव, अर्जुन प्रसाद यादव, मनोजानंद शर्मा, चौधरी राणा, अहमद अंसारी, विकाश कुमार राय, रफायल हेंब्रम, गिरधारी साव, कुलदीप यादव, रामकिसून राम, राकेश कुमार, कंचन कुमार चौधरी, बालकृष्ण मंडल, प्रवीण मरांडी, प्रसादी कुमार यादव, मंझला मरांडी, रामू टुडू, विश्वनाथ पंडित, मकबूल अंसारी समेत अनेक लोग उपस्थित थे।
सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक वेतनमान की नियमावली को सरकार लागू नहीं करती है तब तक पारा शिक्षकों का आन्दोलन विराम नहीं लेगा।