लखनऊ। विज्ञान भारती अवध प्रान्त द्वारा भारत के प्रख्यात रसायनविद आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रे की 160वीं जयंती के अवसर पर स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव का प्रारम्भ ऑनलाइन माध्यम से किया गया। इस अवसर पर विज्ञान भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री डॉ. सोमदेव भारद्वाज ने छात्र एवं छात्राओं को आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रे के जीवनवृत्त एवं संघर्षों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने बताया की आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रे ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया एवं कहा था “विज्ञान इंतजार कर सकता है स्वतंत्रता नहीं”
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च रायबरेली के पूर्व निदेशक डॉ. एस.जे.एस. फ्लोरा नें कहा कि शोध क्षेत्र में असफलता छात्रों को घबराना नहीं चाहिए।
उन्होंने अपने शोध जीवन के 40 वर्षों की लम्बी यात्रा के सन्दर्भ में बताया जिसमें उन्होंने आर्सेनिक की विषाक्तता को रोकने हेतु एक दवा जिसका क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है उसके विकास में आने वाली समस्याओं एवं उन पर कैसे विजय पाई गई इस पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों का विशेष आग्रह किया कि वो शोध क्षेत्र में असफलता से ना घबराएं, सफलता एवं असफलता एक सिक्के के ही दो पहलू हैं एवं आप एक शोध कार्य अपने हाथ में लें एवं उसी पर गहराई से हमेशा प्रयास कार्य करते रहें।
विज्ञान भारती अवध प्रान्त के अध्यक्ष डॉ. एस.के. बारिक एवं प्रांत संगठन मंत्री श्रेयांश मंडलोई ने बताया की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव के अंतर्गत वर्ष भर अवध प्रान्त में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। विज्ञान भारती अवध प्रान्त के महासचिव डॉ रजनीश चतुर्वेदी ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं कहा की आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रे के प्रेरणादायक व्यक्तित्व एवं कृतित्व को अनुकरण करने की आवश्यकता है।