नई दिल्ली। भारतीयों के लिए ‘Britannia’ कोई नया नाम नहीं है. यह भारत की सबसे पुरानी कंपनियों में से एक है. बच्चों से लेकर बूढ़ों तक में ब्रिटानिया ब्रांड ने ख़ास जगह बनाई है. वहीं, बिस्कुट से लेकर केक व ढेरों प्रोडक्ट यह कंपनी बनाते आई है. कई कंपीटीटर्स होने के बावज़ूद ब्रिटानिया अधिकांश भारतीयों की पसंदीदा ब्रांड बनी हुई है.
भारत के आज़ाद होने से पहले देश में कई कंपनियां स्थापित हुईं, जिनमें से कई समय के साथ बंद हो गईं, जबकि कई कंपनियों का अस्तित्व आज भी बरक़रार है. इनमें एक नाम ब्रिटानिया का भी शामिल है. इसकी स्थापना 1892 में की गई थी. वहीं, इसका मुख्यालय कोलकाता में बनाया गया था.
आपको जानकर हैरानी होगी कि 295 रुपए की लागत के साथ 1892 में एक कुटीर उद्योग के रूप में इस कंपनी की शुरुआत हुई थी. बाद में इसे गुप्ता ब्रदर्स के ख़रीद लिया था और उन्होंने इसे V.S. Brothers के नाम से चलाया. वहीं, 1918 में गुप्ता ब्रदर्स के साथ C.H Holmes नाम का एक अंग्रेज़ी बिज़नेसमैन पार्टनर के रूप में जुड़ गया और कंपनी का नाम बदलकर ‘ब्रिटानिया बिस्कुट कंपनी’ रख दिया गया.
कहते हैं कि 1978 में कंपनी से अपने शेयर आम जनता के लिए खोल दिए थे, जिस वजह से यह पूर्ण रूप से भारतीय कंपनी बनने में सफल हो पाई. बाद में इसका नाम ‘Britannia Industries Limited’ रख दिया गया. वर्तमान में इस कंपनी की बागडोर ‘वाडिया ग्रूप’ के पास है. कंपनी के चेयरमैन नुस्ली वाडिया हैं.
द्वितीय विश्व युद्ध
आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रिटानिया कंपनी ने द्वितीय विश्व के दौरान अंग्रेज़ी सैनिकों के लिए बिस्कुटों की आपूर्ति की थी. उस समय भारत पर अंग्रेज़ों का शासन था. बिस्कुटों की आपूर्ति का काम कंपनी ने कई सालों तक जारी रखा.
‘जिन्ना’ के साथ ब्रिटानिया का संबंध
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि ब्रिटानिया कंपनी के चेयरमैन नुस्ली वाडिया हैं. वहीं, आपको जानकर हैरानी होगी कि नुस्ली वाडिया के नाना ‘मोहम्मद अली जिन्ना’ थे. जिन्ना की बेटी दीना जिन्ना ने पारसी उद्योगपति नेविल वाडिया (नुस्ली वाडिया के पिता) से शादी की थी. है न दिलचस्प कहानी.
बता दें कि मोहम्मद अली जिन्ना अपनी बेटी दीना जिन्ना के इस फ़ैसले के सख़्त ख़िलाफ़ थे. वो नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी किसी ग़ैर-मुस्लिम से शादी करे. इस मसले को लेकर बाप-बेटी के बीच काफ़ी बहस भी हुई थी, लेकिन दीना जिन्ना अपने फ़ैसले पर अडिग थीं. वैसे बता दें कि जिन्ना के पत्नी (रत्तनबाई) पारसी थीं और उन्होंने धर्म बदलकर जिन्ना से निकाह किया था.