सूखे को देखते हुए पुरानी मान्यता के मुताबिक, गांव की छोटी-छोटी बच्चियों को पूर्ण नग्न कर उनके कंधों पर मूसल रखा जाता है और इस मूसल में मेंढक को बांधा जाता है. बच्चियां पूरे गांव में घूमती हैं और पीछे-पीछे महिलाएं भजन कीर्तन करती जाती हैं. रास्ते में पड़ने वाले घरों से ये महिलाएं आटा-दाल मांगती हैं और जो राशन जमा होता है उस राशन से गांव के मंदिर में भंडारा होता है.
मान्यता है कि ऐसा करने से बारिश होती है. इसी कुप्रथा को एक बार फिर अंजाम दिया गया और बनिया गांव में प्रथा के नाम पर मासूम बच्चियों के साथ ये सलूक भी किया गया.
इस पूरे मामले पर जिले के पुलिस अधीक्षक डीआर तेनिवार का कहना है कि ये एक परंपरा है जो अंधविश्वास भी कही जा सकती है जिसमें सहमति से बच्चों से ये सब कराया जाता है. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. यदि किसी बच्चे को जबरन ऐसा करने के लिए बाध्य किया गया है तो पुलिस कार्यवाही करेगी.