रांची। आज 75 वर्षों की आजादी के गौरवशाली इतिहास में इस मुल्क के संतान प्रतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा अपनी मौलिक अधिकारों की सिसकती हुई आवाज बुलंदियों की शिखर पर फिसलती हुई साबित हो रही है। ब्रिटिश हुकूमत की तानाशाही व दुराचारी मानसिकता से तबाही के अंगारों में झुलसता हुआ हिंदुस्तान की गुलामी को ध्वस्त करने का संकल्प लेते हुए सुभाष चन्द्र बोस ने कहा।
तुम मुझे खून दो
मैं तुझे आजादी दूंगा
इसी बुलंदी आवाज के साथ भारत के यशस्वी वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत छेड़ दिया और वैसे निरंकुश शासन का पतन करते हुए भारत माँ को आजादी दिलाने का काम किया।
आज देश के समृद्धशाली राज्य झारखंड में भी पारा शिक्षकों के साथ छल कपट , ज्यादती, शोषण व ब्रिटिश हुकूमत के तर्ज पर निरंकुशता का साम्राज्य स्थापित कर गुलामी की दहलीज पर खड़ा खड़ा कर दिया है।
राज्य के 65000 पारा शिक्षक 18 वर्षों से वनवास की जिंदगी झेलते हुए गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर है और अब पारा शिक्षकों का धैर्य भी जबाव दे रहा है। तानाशाही मिजाज वाली दमनकारी नीतियों की डबलइंजन वाली सरकार का दफन पारा शिक्षकों ने कर दिया और एक लोकतांत्रिक सरकार का गठन भी पारा शिक्षकों के कड़ी मेहनत और पराक्रमी ताकतों के बदौलत हुआ।
शिक्षा का रीढ़ कहलाने वाले झारखंड के मूलवासी पारा शिक्षकों की अस्मिता का दमन हो रहा है हमें अपने मौलिक अधिकारों से भी वंचित किया जा रहा है दिन प्रति दिन पारा एक न एक पारा शिक्षकों की मौतें हो रही है और हमारी जिंदगी नरक बनती जा रही है।
अब हमारी धैर्य शक्तियां भी जबाव दे रही है और हमारी सरकार तिथि पर तिथि, अगले सप्ताह में नियमावली पारित होगी की ढोंग रचती जा रही है हमारी उम्मीद किस सरकार के चरणों में समर्पित हो कर स्वर्ग जैसी खुबसूरती तोहफा स्वीकार करने को बाध्य करेगी , किस सरकार के खजानों में दस्तक देकर पारा शिक्षकों को वेतनमान में तब्दील करेगी हमें कोई मालूम नहीं।
बिहार मॉडल पर निर्मित नियमावली को सरकार के नौकरशाहों की निरंकुशता से गुलामी की फाइलों में दम तोड़ने की स्थिति में अब तक शिक्षा मंत्री जी के हाथों में नहीं मिल पा रही है।
यही है ब्यूरोक्रेसी का दमन जब तक इन नौकरशाहों के खिलाफ आन्दोलन नहीं होगा नियमावली पंचायत चुनाव के हवाले हो जाएगी।
इसलिए इस सप्ताह तक इंतजार करने के बाद निश्चित तौर पे आंदोलनात्मक रणनीतियां तैयार करने को बाध्य होना ही पड़ेगा यह मेरा मस्तिष्क कह रहा है। इसलिए आप तमाम पारा शिक्षकों से अपील है कि अपने हक और अधिकार के लिए सभी पारा शिक्षक को सुभाष चन्द्र बोस, वीर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, रानी लक्ष्मीबाई, फूलन देवी की विरासत को अपनाना पड़ेगा और युद्धभूमि में कूद कर गुलामी की मानसिकता वाले नौकरशाहों के चक्रव्यूह को भेदने में वीर अभिमन्यु की भांति गांडीव को उनके वक्ष स्थल पर धराशाई करना पड़ेगा तभी हम झारखंड के 65000 पारा शिक्षकों को गुलामी से मुक्ति मिल सकती है।
ताकि हम उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए वेतनमान जैसे अमृत फल प्राप्त कर हम अपने जीवन को प्रगतिशीलता के शिखर पर पहुंचाने में कामयाबी हासिल कर सकते हैं।
जय हिन्द जय पारा शिक्षक
आपका क्रान्तिकारी साथी
सुखदेव हाजरा
जिला महासचिव गिरिडीह