रांची। सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत खादी बोर्ड के चांडिल स्थित उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्र ने पहली बार तसर साड़ियों का उत्पादन शुरू किया है। ये साड़ियां क्वालिटी में काफी अच्छी मानी जा रही हैं। जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी यहां के तैयार उत्पादों और कुचाई सिल्क को ब्रांड बनाने में लगातार रुचि दिखा रहे हैं, जिसके लिए ट्राइफेड को निर्देशित किया गया है।
इन साड़ियों को नमूनों के तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास भी भेजा गया था जो उन्हें काफी पसंद आयी। इसके बाद साड़ी उत्पादन का काम बड़े पैमाने पर शुरू हुआ जो अब काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। चांडिल प्रशिक्षण एवं उत्पादन केंद्र के प्रभारी सुनील कहते हैं कि बुनकरों को एक साड़ी बनाने में तकरीबन तीन दिन का समय लग रहा है।
सरायकेला-खरसावां के कुचाई का तसर क्वालिटी में सबसे बेहतर माना जाता है और यही कारण है कि इसकी काफी डिमांड है। अब देश के साथ ही विदेशों में यहां की साड़ियों को भेजने की तैयारी है जिससे केंद्र के कारीगरों के हौसले बुलंद हैं । चांडिल में साड़ियों के उत्पादन के लिए महिलाओं को भी प्रशिक्षण दिया गया है। ये महिलाएं कोरोना काल में भी घर से काम कर रहीं थीं, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बेहतर और सरहनीय कोशिश रही। खादी बोर्ड अब आमदा और कुचाई के प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्रों में भी साड़ियों के उत्पादन पर फोकस कर रहा है, जिससे राज्य के बुनकरों को रोजगार और झारखंड में बनी साड़ियों को बाजार मिलेगा।