रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की पीठ ने 15 साल की एक लड़की को शादी की अनुमति दे दी है।
जबकि भारत में किसी को बालिग कहे जाने की उम्र 18 साल है, लेकिन शादी के मामले में लड़कों की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़कियों की उम्र 18 साल ही रखी गई थी। लेकिन मोदी सरकार ने विवाह के लिए लड़कियों की उम्र 21 वर्ष कर दी है।
हाई कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला देते हुए अपना फैसला सुनाया। साथ ही जस्टिस द्विवेदी ने जमशेदपुर से सटे जुगसलाई की 15 साल की लड़की से शादी करने वाले युवक के खिलाफ की गयी निचली अदालत की कार्रवाई को निरस्त कर दिया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत 15 साल की लड़की अपनी पसंद के लड़के से निकाह कर सकती है, उस पर कोई बंदिश नहीं है।
उल्लेखनीय है कि लड़की के पिता ने बिहार के नवादा जिला निवासी मोहम्मद सोनू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पिता ने आरोप लगाया था कि उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर उससे निकाह किया गया है। मोहम्मद सोनू ने इस प्राथमिकी को हाई कोर्ट में चुनौती दी। क्वैशिंग याचिका दाखिल की।
लड़की के पिता ने कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर कहा कि उसे इस निकाह से कोई दिक्कत नहीं है। गलतफहमी की वजह से उसने सोनू के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी थी। सुनवाई के दौरान ही लड़की के वकील ने कोर्ट को बताया कि दोनों परिवारों ने इस निकाह को मंजूरी दे दी है। इसके बाद जस्टिस द्विवेदी की खंडपीठ ने सोनू के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया।
नाबालिग मुस्लिम लड़की मनपसंद लड़के से कर सकती है निकाह : हाई कोर्ट
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