लखनऊ। प्रदेश में बाल एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग के किए प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। इसको देखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक राज्य में अभी 2200 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बन चुके हैं, जिनकी संख्या इस साल के अंत तक 3500 हो जाएगी, जो स्वास्थ्य सेक्टर में बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव लाने में अहम भूमिका निभायेंगे।
सरकार के प्रतिनिधि, एनएचएम के अधिकारी, जिला स्तर के स्वास्थ्य अधिकारी विभिन्न स्तरों पर मुआयना पड़ताल और रिपोर्ट के आधार पर इस बात से सहमत हैं कि स्वास्थ्य विभाग और सहयोगी संगठन यूपीटीएसयू की बदौलत सार्थक पहल देखने को मिल रही है। इसके साथ ही नवजात एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न स्तरों पर आ रही चुनौतियों के समाधान के लिए इस दिशा में और आगे बढ़ने की दरकार है।
चाइल्ड हेल्थ प्रोजेक्ट से मिलेंगे बेहतर परिणाम
स्वास्थ्य सचिव हेकाली झिमोमी के मुताबिक सरकार लगातार मां व बच्चे की सेहत पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ मेनोटोबा एवं इंडिया हैल्थ एक्शन ट्रस्ट के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित चाइल्ड हेल्थ प्रोजेक्ट ने इसको नया आयाम दिया है। उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के बेहतर प्रयासों को अन्य जिलों में भी लागू कर प्रदेश में बाल स्वास्थ्य की स्थिति में और सुधार लाया जाएगा। उनके मुताबिक नर्स एजूकेटर के रूप में स्वास्थ्य विभाग के परिवार में एक और सदस्य जुड़ गया है जो जमीन पर अच्छा काम कर रही है।
मातृत्व और बाल स्वास्थ्य के बीच समन्यव बढ़ाने की दरकार
एनएचएम महाप्रबंधक डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक हमें मातृत्व व बाल स्वास्थ्य के बीच समन्यव बढ़ाने की जरूरत है। महिला और पुरुष सरकारी अस्पतालों में आपस में समन्यव बढ़ाने की भी आवश्यकता है। डॉ. वेद के मुताबिक सरकार एसएनसीयू को बेहतर करने जा रही है। इसके अलावा कंगारू मदर केयर (केएमसी) सेंटर बढ़ाने पर विचार चल रहा है।
आशाओं का प्रोत्साहन सबसे जरूरी
एनएचएम के महाप्रबंधक (कम्युनिटी प्रोसेस) डॉ. राजेश झा कहते हैं कि आशाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं। उन्हें सिर्फ प्रोत्साहित करने की जरूरत है। ये आज की सबसे बड़ी जरूरत है। सरकार लगातार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बढ़ाने पर काम कर रही है। इस साल के अंत तक प्रदेश में 3550 वेलनेस सेंटर हो जाएंगे। एएनएम को भी स्पोर्ट की जरूरत है। सरकार ने उनके लिए परफार्मेंस आधारित इंसेटिव शुरू किया है।
बीएमजीएफ ने भी उप्र में हो रहे कार्यों को सराहा
स्वास्थ्य सेक्टर में आए इस बदलाव को यहां काम कर रहे निजी संगठन भी महसूस कर रहे हैं। बिल एंड मिलींडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र कहते हैं कि वह कई प्रदेशों व तकरीबन 200 जिलों में काम कर रहे हैं लेकिन जिस तरह यूपी में मेडिकल कालेजों का जिला व ब्लॉक स्त्रीय स्वास्थ्य इकाईयों को सहयोग है वह वाकई काबिले तारीफ है। उन्होंने कहना है कि जिस तरह से एनएचएम लगातार डॉक्टर की नियुक्तियों के लिए नवीन प्रयास कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में और बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।
आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी के बीच समन्यवय बढ़ाने पर जोर
स्वास्थ्य निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश का कहना है कि हम कोशिश करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षित डॉक्टर व सेवा प्रदाता स्वास्थ्य केन्द्रों में तैनात कर सकें ताकि मरीजों को उत्तम सेवाएं मिल सके। आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी के बीच समन्यवय बढ़ाया जाएगा। इसके लिए उनकी एक साथ ट्रेनिंग कराई जाएगी। शहरी क्षेत्र में आशाओं की कमी है। सिर्फ स्लम इलाके में ही आशाएं काम कर रही हैं जिन्हें बढ़ाए जाने की जरूरत है।