रांची। देश के एक करोड़ 30 लाख लोग विदेशों में काम कर रहे हैं, जिसमें श्रमिक, पेशेवर और विभिन्न प्रकार के विशेषज्ञ शामिल है। ऐसे लोगों को विदेशों में रोजगार के लिए उत्प्रवास जांच अपेक्षित है। इसका रिकॉर्ड भारत का विदेश मंत्रालय रखता है।
वर्तमान समय में विदेशों में झारखंड के 8700 से अधिक लोग काम कर रहे हैं। उक्त आशय की जानकारी केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री बी मुरलीधरण ने सोमवार को लोकसभा में दी। लोकसभा में रांची के सांसद संजय सेठ ने यह सवाल पूछा था कि विदेशों में कार्यरत भारतीय लोगों की संख्या कितनी है। इनकी राज्यवार संख्या कितनी है और किसी घटना दुर्घटना की स्थिति में सरकार के द्वारा क्या मदद की जाती है।
इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि किसी प्रवासी कामगार की दुर्घटना में मृत्यु होने पर विदेश मंत्रालय उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें तत्काल सहायता प्रदान करता है। न्यायालय, बीमा एजेंसी, संबंधित देशों के प्रशासन सहित कई क्षेत्रों में समन्वय का कार्य विदेश मंत्रालय के द्वारा किया जाता है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि प्रवासी भारतीयों के लिए भारत सरकार एक बीमा योजना चलाती है, जो अनिवार्य बीमा योजना है। इसके तहत तीन वर्षों के लिए सिर्फ 375 की राशि ली जाती है और 10 लाख रुपए तक का बीमा व अन्य लाभ प्रदान किया जाता है।
सेठ के सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ई माइग्रेट पोर्टल पर जो आंकड़े उपलब्ध है, उनके अनुसार अट्ठारह ईसीआर देशों में झारखंड के जो नागरिक काम कर रहे हैं, उनमें से वर्ष 2020 में 831, 2021 में 1481, 2022 में 4322 और जून 2023 तक 2070 लोग विदेशों में काम करने के लिए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि झारखंड के कामगारों की विगत तीन वर्षों में विदेशों में मौतें भी हुई है, जिनमें सबसे अधिक मौत सऊदी अरब में हुई है। सऊदी अरब में झारखंड के 38 श्रमिकों की मौत हुई, जबकि ओमान में 21 श्रमिक, मलेशिया में सात श्रमिक, संयुक्त अरब अमीरात में नौ श्रमिक, कुवैत में 10 श्रमिक और कतर में छह श्रमिक की मौत हुई। इनके परिवार को विदेश मंत्रालय ने हर संभव सहायता और मदद उपलब्ध कराई है।