नई दिल्ली। निर्भया के गुनाहगारों के लिए डेथ वांरट जारी करने से पटियाला हाउस कोर्ट ने अभी इनकार किया है। कोर्ट ने कहा कि इस बारे में दायर अर्जी प्री-मैच्योर है। हाईकोर्ट ने दोषियों को कानूनी विकल्प के लिए 7 दिन की मोहलत दी हुई है। वो मियाद बची हुई है। अभी अटकलबाजियों के आधार पर डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता है।
सरकारी वकील इरफान अहमद ने कहा कि उसे पिछले आदेशों पर गौर करना चाहिए। इरफान अहमद ने कहा कि दोषियों की कोई भी याचिका लंबित नहीं है। इसलिए उनके खिलाफ डेथ वारंट जारी किया जा सकता है। इरफान अहमद ने कहा कि दोषियों की कोई भी याचिका लंबित नहीं है। इसलिए उनके खिलाफ डेथ वारंट जारी किया जा सकता है।
इरफान अहमद ने कहा कि हाईकोर्ट ने भी सात दिनों की समय सीमा तय कर दी है। तब कोर्ट ने पूछा कि किस डेट से 14 दिनों के बाद फांसी की डेट तय होगी। तब इरफान अहमद ने कहा कि पांच फरवरी से। कोर्ट ने फिर पूछा कि आप ये कैसे मानते हैं कि चौथा दोषी क्युरेटिव पिटीशन या दया याचिका दायर नहीं करेगा। तब सरकारी वकील ने कहा कि अगर ऐसा होता तो इस कोर्ट के पिछले आदेश के बाद वह क्युरेटिव पिटीशन और दया याचिका दायर कर देता।
निर्भया के माता-पिता की तरफ से वकील जीतेंद्र झा ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश पांच फरवरी से शुरू हो गया था। 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट दोपहर दो बजे सुनवाई करेगा। इसलिए हाईकोर्ट की मियाद 11 फरवरी को खत्म हो गई है।
मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल के कहने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी नहीं किया। वृंदा ग्रोवर ने कहा कि केंद्र सरकार की दो याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। एक शत्रुघ्न चौहान वाले फैसले में दिए गाइडलाइन में बदलाव की मांग वाली है और दूसरी आज जिसपर सुनवाई हुई। कोर्ट ने पूछा एपी सिंह कहां हैं? एपी सिंह ने कहा कि मुझे पता नहीं क्या याचिका पीपी ने दाखिल की है। तब कोर्ट ने एपी सिंह को कहा कि आप केवल कानून पर बात करेंगे और कुछ नहीं। एपी सिंह ने कहा कि मैं देर से आने के लिए माफी चाहता हूं। मुझे केस के बारे में नहीं पता था। जज ने एपी सिंह को डांट लगाते हुए कहा कि आप केवल लॉ पॉइंट पर बात करें।
तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा था कि अक्षय, मुकेश और विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है। अभी किसी भी फोरम में किसी भी दोषी की कोई याचिका लंबित नहीं है, लिहाजा नया डेथ वारंट जारी किया जाए।
पिछले 31 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों के डेथ वारंट पर रोक लगा दिया था। इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन हाईकोर्ट ने भी केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट ने चारों दोषियों को एक सप्ताह के अंदर कानूनी विकल्प आजमाने का निर्देश दिया था।