नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को भुगतान में देरी पर सरकार और कंपनियों को फटकार लगाई है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि देश में क्या हो रहा है,ये बिल्कुल बकवास है, हमें जो कहना था हम कह चुके है। कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरु करने की धमकी देते हुए कंपनियों के निदेशकों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने पूछा कि आदेशों का पालन नहीं करने पर आपके खिलाफ क्यों न अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए। कोर्ट ने 17 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे अपने डेस्क अफसर की ओर से जारी उस आदेश को एक घंटे में वापस ले जिसमें टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा गया था। कोर्ट ने कहा कि अगर संबंधित अधिकारी ने वो आदेश एक घंटे में वापस नहीं लिया तो उसे जेल भेजा जाएगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर कोर्ट के आदेश का अधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं तो इससे अच्छा है कि कोर्ट को बंद कर दिया जाए। क्या सरकारी डेस्क अफसर सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर है जिसने हमारे आदेश पर रोक लगा दी।
दरअसल पिछले 21 जनवरी को टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो फैसले को चुनौती नहीं दे रहे हैं। कंपनियों की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और सीए सुंदरम ने कोर्ट से कहा था कि वे केंद्र सरकार को भुगतान के लिए शेड्यूल तैयार कर सकें इसके लिए याचिका दायर की गई है।
पिछले 16 जनवरी को कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) पर फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया था। एयरटेल को 23 करोड़, वोडाफोन-आइडिया को 27 करोड़ और आरकॉम को साढ़े 16 हज़ार करोड़ रुपए चुकाने होंगे।
24 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की सरकारी परिभाषा को सही बताते हुए टेलीकॉम कंपनियों को 92,000 करोड़ रु.चुकाने का आदेश दिया था।कंपनियों का कहना था कि एजीआर में सिर्फ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्ज आते हैं। जबकि सरकार रेंट, डिविडेंड, संपत्ति बेचने से लाभ जैसी कई चीजों को भी शामिल बता रही थी ।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सबसे पहले 2005 में एजीआर की केंद्र सरकार की गणना को चुनौती दी थी। एसोसिएशन का कहना था कि केंद्र सरकार की गणना टेलीग्राफ एक्ट और ट्राई की अनुशंसाओं के विपरीत है। इसके पहले टेलीकॉम विवाद निस्तारण अपीलीय ट्रिब्यूनल ने कहा था कि एजीआर में रेंट, डिविडेंड, संपत्ति बेचने से लाभ भी शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ टेलीकॉम कंपनियों ने 22 नवंबर 2019 को पुनर्विचार याचिका दायर किया था। एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने अलग-अलग पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं।