कोरोना वायरस के कारण भारत में 3 मई तक लॉकडाउन है। लॉकडाउन में तलाक के मामले बढ़ने लगे हैं। यूं तो शादी के मामलों से जुड़े मृणालिनी देशमुख और अश्विनी पाठक जैसे वकीलों के पास लॉकडाउन के दौरान काम नहीं होना चाहिए, लेकिन उनके पास लगातार क्लाइंट्स के कॉल आ रहे हैं। बांद्रा फैमिली कोर्ट बंद है, सिर्फ एक जज वहां हैं, जो अर्जेंट मामलों को देखेंगे। बावजूद इसके देशमुख लगातार अपने क्लाइंट्स से वीडियो कॉल पर बात कर रहे हैं, जिनमें से एक हैं 5 साल के बच्चे की मां, जो खुशी-खुशी तलाक लेना चाहती हैं। पाठक के पास भी तलाक को लेकर फोन आ रहे हैं। देशमुख का कहना है कि तलाक की वजहें भी मामूली हैं, जैसे एसी का स्विच ऑफ क्यों किया?
अन्य वकील और ऑनलाइन लीगल एडवाइजर भी बता रहे हैं कि तलाक के मामलों को लेकर पूछताछ लगातार बढ़ती ही जा रही है। घरों में एक साथ कैद रहने के चलते बहुत से लोगों की पहले से ही खराब चल रही रिलेशनशिप खत्म होने के कगार पर पहुंच चुकी है।
तीन गुना बढ़े मामले
ऑनलाइन लीगल प्लेटफॉर्म के फाउंडर अक्षत सिंघल कहते हैं कि चीन में क्वारंटीन के दौरान तलाक के मामले बढ़े थे, लेकिन भारत में जनता कर्फ्यू के बाद से ऐसे मामलों में तीन गुना बढ़ोतरी ने चिंता में डाल दिया है। इसकी एक बड़ी वजह घरेलू हिंसा है। नौकरी और पैसों की चिंता की वजह से लोग तनाव में हैं, खासकर छोटे बिजनेस के मालिक और कर्मचारी। वह बताते है कि इस समय लोग घरों से बाहर नहीं जा पा रहे हैं तो वह घरों से ही ऑनलाइन या फोन के जरिए तलाक के बार में पूछताछ कर रहे हैं।
खुल रहे हैं दबे हुए राज
मुंबई की साइकोलॉजिस्ट वर्खा चुलानी कहती हैं कि लॉकडाउन उन रिश्तों में और कड़वाहट पैदा कर सकता है, जो पहले से ही तनाव की स्थिति में हैं। बहुत सारी भारतीय शादियां इसलिए चलती रहती हैं क्योंकि लोग काम के लिए बाहर जाते हैं और लोगों से मिलते-जुलते रहते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन्हें एक दूसरे के साथ ही रहने पर मजबूर होना पड़ गया है। कई बार इतनी करीबियों के चलते कुछ ऐसे सच बाहर आ जाते हैं, जो दुख देने वाले होते हैं।