कोरोना से उपजे निराशा खत्म होने वाला है. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने उम्मीद जगा दी है. कोरोना को जड़ से खत्म करने वाली वैक्सीन तैयार कर लिया गया है। आज 23 अप्रैल से इंसानों पर उसकी टेस्टिंग भी शुरू हो रही है. मतलब सुपर वैक्सीन करीब-करीब तैयार है.
ये चमत्कार लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक करने जा रहे हैं। वैक्सीन की परीक्षण का सबसे अहम पड़ाव होता है इंसानों पर प्रयोग. इसी के बाद किसी बीमारी के इंजेक्शन की कामयाबी तय हो पाती है. कोरोना से लड़ने के लिए तैयार वैक्सीन को नाम दिया गया है- चाडॉक्स वन
जानकारी के मुताबिक, पहले फेज में वैक्सीन का ट्रायल 510 वॉलंटियर्स पर किया जा रहा है. दूसरे फेज में सीनियर सिटिजन्स पर इसका इस्तेमाल होगा. तीसरे चरण में 5000 वॉलंटियर पर इसका असर देखा जाएगा. और इसमें कामयाबी मिली तो सितंबर तक 10 लाख वैक्सीन इस्तेमाल में लाई जाएगी.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सराह गिलबर्ट ने बताया, मेरी टीम अनजान बीमारियों पर काम कर रही थी. हमने इसका नाम दिया था डिज़ीज़ एक्स.. ताकि अगर भविष्य में कोई महामारी फैले तो हम इसका मुकाबला कर सकें. हमें अंदाजा नहीं था कि इसकी जरूरत इतनी जल्दी पड़ जाएगी. इस तकनीक को अलग अलग बीमारियों पर आजमाया जा चुका है. हम दूसरी बीमारियों पर 12 क्लिनिकल ट्रायल कर चुके हैं. हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. इसकी सिंगल डोज से इम्यूनिटी बेहतर हो सकती है.
इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिकों को भरोसा इतना है कि ट्रायल के साथ-साथ दुनिया में 7 सेंटर पर वैक्सीन का प्रोडक्शन भी शुरू हो चुका है. भारत भी उनमें से एक सेंटर है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एड्रियन हिल के मुताबिक, हमने इस वैक्सीन को बनाने का जोखिम लिया है, वो भी छोटे स्तर पर नहीं. हम दुनिया के 7 अलग अलग उत्पादकों के नेटवर्क की मदद से वैक्सीन बना रहे हैं. हमारे तीन पार्टनर यूके में हैं, दो यूरोप में हैं, एक चीन में और एक भारत में हैं.
अपने वैज्ञानिकों की कामयाबी पर ब्रिटेन मेहरबान है. ट्रायल के लिए सरकार ने करीब 210 करोड़ रुपये की मदद का भी ऐलान किया है.