बिहार| यह मामला पटना जिले के बाढ़ के मोहमदपुर का है| यहाँ के निवासी चुन्नू कुमार का दिसम्बर 2020 में पैर टूट गया था| उसके बाद से वो अपने घर में इलाज करवा रहे थे| 9 अप्रैल को उनकी घर पर तबीयत बिगड़ी, उसके बाद उन्हें पटना के पीएमसीएच लाया गया| डॉक्टर ने ब्रेन हेमरेज होने की बात कही थी, फिर परिजनों ने 9 अप्रैल को पीएमसीएच में भर्ती कराया|
एडमिट होने के वक्त मरीज का कोरोना टेस्ट कराया गया, जो पॉजिटिव आ गया| उसके बाद मरीज चुन्नू कुमार को कोरोना वार्ड में भर्ती किया गया| डॉक्टरों के द्वारा शनिवार तक सेहत में सुधार की बात भी कही, लेकिन रविवार की सुबह 10 बजे बताया गया कि मरीज की स्थिति खराब हो गई है| फिर एक घंटे बाद उन्हें मृत बताकर अस्पताल ने आनन-फानन में डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया और शव को पैक कर परिजन को सौंप दिया|
इसके बाद बांस घाट पर अंतिम संस्कार की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई| जब चुन्नू कुमार के बेटे ने मुखाग्नि देने के वक्त अपने पिता का चेहरा देखने की बात कही, तो मुह से कपड़ा कपड़ा हटाया गया तो देखा कि वो उसके पिता नहीं हैं| बता दे की सरकारी अस्पतालों की लापरवाही के चक्कर में लाश की बदली हो गई| इसके बाद लाश को पीएमसीएच लाया गया और उस लाश को पोस्टमार्टम रूम में रख दिया गया|
चुन्नू के परिजन परेशान होकर उसकी लाश की मांग करने लगे और जब वह कोरोना वार्ड पहुंचे तो पता चला कि चुन्नू सही सलामत हैं| इसके बाद पूरे अस्पताल परिसर में हंगामा शुरू हो गया|
इस मामले पर पीएमसीएच अधीक्षक आई एस ठाकुर ने कहा कि हमारे अस्पताल प्रबंधन के तरफ से गलती हुई है, इसकी जांच कराई जा रही है, जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ सख्त करवाई होगी, जिनका डेथ सर्टिफिकेट बनाया गया है वो व्यक्ति चुन्नू कुमार जिंदा है और ठीक है|