पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बुधवार को कहा कि स्वास्थ्य विभाग कुष्ठ उन्मूलन को लेकर काफी सजग और सतर्क है। इस बीमारी के उन्मूलन को लेकर चलाये जा रहे सतत प्रयास का नतीजा है कि प्रदेश में कुष्ठ रोगियों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है और राज्य इसके उन्मूलन के तरफ तीव्र गति से बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-2022 में बिहार का कुष्ठ रोग प्रसार दर 0.61 प्रति 10 हजार जनसंख्या पर आ गया है। 2017-18 में प्रसार दर 1.18 प्रति 10 हजार था। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत कुष्ठ के रोगियों का प्रसार दर एक से कम प्रति 10 हजार जनसंख्या पर लाना है ।
मंत्री पांडेय ने कहा की विभाग के निरंतर प्रयास के कारण लेप्रोसी रोगियों की संख्या में भी काफी कमी आई है। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में कुष्ठ रोगियों की संख्या 8675 थी, जो घटकर 2021-2022 में 6668 रह गई है। उन्होंने कहा की राज्य के 32 जिलों में रोग प्रसार दर 10 हजार की जनसंख्या पर एक से कम है। बांकी जिलों में भी स्वास्थ्य विभाग रोग प्रसार दर कम करने के लिए पूरी तत्परता से काम कर रहा है। विकसित विकलांगता को ठीक करने के लिए दी-लेप्रोसी मिशन अस्पताल मुजफ्फरपुर, मॉडल लेप्रोसी कंट्रोल रुद्रपुरा, रोहतास, पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, वर्द्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान अस्पताल नालंदा एवं दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पुनर्शल्य चिकित्सा मुफ्त में उपलब्ध है। साथ ही प्रत्येक मरीजों को सरकार की ओर से 8000 रुपये प्रोत्साहन राशि के तौर पर दी जाती है।
मंगल पांडेय ने कहा कि बिहार सरकार राज्य के 20 जिलों में 60 कुष्ठ कॉलोनियों में रहने वाले कुष्ठ रोगियों एवं उनके आश्रितों की देखभाल के लिए जिला में उपलब्ध कर्मी को उत्तरदायी बनाया गया है, जो प्रत्येक माह इन कॉलोनियों में जाकर रहने वाले रोगियों एवं आश्रितों की जांच एवं चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराते हैं। इन कॉलोनियों में सेल्फकेयर किट उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है तथा कॉलोनियों के सदस्यों का सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) भी बनाया गया है।