आमतौर पर लोग गाय या भैंस का दूध पीते हैं, लेकिन सेहत के हिसाब से गधी का दूध काफी फायदेमंद होता है। नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वाइन (NRCE) कि रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के कच्छ की हालारी प्रजाति की गधी का दूध इंसानों के लिए काफी गुणकारी है। हालारी का दूध कई दवाईयों और ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होता है। बताया जाता है कि इसमें मौजूद एंटी एजिंग तत्वों के चलते बुढ़ापा दूर रहता है।
भैंस, बकरी, ऊंटनी के दूध की तुलना में हालारी के दूध की गुणवत्ता ज्यादा अच्छी है।
गधी के दूध का देश में फिलहाल कोई बड़ा मार्केट नहीं है। कॉस्मेटिक बनाने वाली कुछ कंपनियां इनका दूध खरीदती हैं। इसके अलावा देश में कई जगह इस दूध का उपयोग पीने में भी किया जाता है। खासतौर पर गांवों में बच्चों को होने वाली पाचन संबंधी समस्या में यही दूध दिया जाता है। अगर इसके गुणकारी फायदों के बारे में जानकारी बढ़े तो इसका बड़ा मार्केट खड़ा हो सकता है।
NRCE की रिसर्च के अनुसार, मां के दूध में जो पोषक तत्व होते हैं। वैसे ही पोषक तत्व हालारी गधी के दूध में भी होते हैं। इसके दूध में फैट नहीं होता।
बढ़ती उम्र के नकारात्मक प्रभावों को रोकने वाली एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा गधी के दूध में ज्यादा होती है। यह कई रोगों से लड़ने में सक्षम है।
बच्चों की पाचन शक्ति बढ़ाने में यह दूध काफी कारगर है।
स्किन मुलायम होती है और इससे कई तरह के चर्म रोगों से भी बचाव किया जा सकता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है।
एंटी एजिंग, एंटी ऑक्सीडेंट और कई दूसरे कई औषधीय तत्व होते हैं।
स्टार्टअप ऑर्गेनिकों की फाउंडर पूजा कौल साबुन बनाने के लिए खरीदती हैं दूध।
कॉस्मेटिक बनाने वाले स्टार्ट-अप ऑर्गेनिकों ने गधी के दूध से बने साबुन लॉन्च करना शुरू किया है। ऑर्गेनिकों की फाउंडर पूजा कौल ने बताया कि अन्य प्राणियों की तुलना में गधी की प्रजाति को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है और इसी के चलते इसके दूध के लाभकारी गुणों के बारे में ज्यादा लोगों को पता ही नहीं। लेकिन, पिछले दो-तीन सालों से इसे लेकर लोग जागरूक हो रहे हैं। हम पिछले दो सालों से दिल्ली से गधी का दूध खरीद रहे हैं, लेकिन अब हम कच्छ की हालारी प्रजाति की गधी का दूध खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं।
भारत में गधी का दूध 2000 रुपए लीटर के आसपास है। इसका इस्तेमाल साबुन बनाने में करते हैं। कर्नाटक के कई गांवों में बच्चों को बीमारी से दूर रखने के लिए गधी का दूध ही पिलाया जाता है। गधी का पालन करने वाली कई कम्यूनिटी तो 50 से 100 रुपए में प्रति चम्मच इसकी बिक्री करती हैं।
हालारी गधी के दूध पर रिसर्च के बाद इसके दूध की डिमांड बढ़ने लगी है। इसी के चलते ऊंटनी के दूध के प्रोडक्ट्स बनाने वाली राजस्थान की आद्विक फूड्स कंपनी ने गुजरात में हालारी गधी के दूध के लिए डेयरी शुरू करने की तैयारी की है। आद्विक फूड्स के फाउंडर हितेश राठी ने बताया कि गुजरात में हालारी गधी का पालन करने वाली कई कम्युनिटी से मिल चुके हैं।
हालारी गधी दिखने में घोड़े जैसी होती है। ये सफेद रंग की होती हैं। हालांकि, ये घोड़ों के मुकाबले कद में छोटी होती हैं। एक शोध में पाया गया कि गधी का दूध शरीर में जहर फैल जाने, बुखार, थकान, आंखों में धब्बे, कमजोर दांत, छालों, दमा और स्त्रियों से जुड़े कई रोगों को दूर करने में मददगार साबित होता है।