News Samvad : बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक 32 साल की गर्भवती महिला की याचिका पर महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। कोर्ट ने बच्चे को जन्म देने के अधिकार पर विशेष टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति रेवती मोहित डेरे और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने महिला को अपनी पसंद के निजी अस्पताल में गर्भपात की इजाजत दी है। हालांकि, अस्पताल को एक हलफनामा दाखिल कर अदालत को यह बताना होगा कि वह मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत सभी आवश्यकताओं को पूरा करने का इंतजाम कर चुका है। महिला ने याचिका में भ्रूण की विसंगतियों के कारण गर्भपात की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने 28 मार्च को पारित आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता के प्रजनन स्वतंत्रता के अधिकार, शरीर पर उसकी स्वायत्तता और उसकी पसंद के अधिकार को ध्यान में रखते हुए गर्भपात की अनुमति दी जा रही है।” कोर्ट ने महिला की शारीरिक स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि वह चिकित्सकीय रूप से गर्भ गिरा सकती है। महिला ने यह सुनिश्चित करने की मांग की थी कि गर्भपात की प्रक्रिया में भ्रूण की हृदय गति को कम किया जाए, जिससे बच्चा जीवित न पैदा हो सके। इस पर कोर्ट ने सरकारी अस्पताल- जेजे हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड को गर्भपात के सबसे उपयुक्त तरीके पर राय देने का निर्देश भी दिया।

गौरतलब है कि एमटीपी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, 24 हफ्ते से अधिक का गर्भ गिराने के लिए अदालत की अनुमति आवश्यक है। महिला की पैरवी करने वाले वकील मीनाज काकलिया ने बताया कि गर्भधारण के लगभग 24वें हफ्ते में इको कार्डियोग्राफी कराने पर भ्रूण में विसंगति का पता चला। डॉक्टरों ने महिला को बताया कि गर्भ में पल रहा भ्रूण कंकाल संबंधी डिसप्लेसिया से पीड़ित है, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा होता है। जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने भ्रूण की स्थिति का आकलन करने के बाद गर्भपात के लिए हरी झंडी दे दी थी।
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