मुस्लिम समुदाय के शब-ए-बारात प्रमुख पर्वों में से एक है। शब फारसी ज़बान का लफ्ज़ है और बराअत अरबी का और इसका नाम “लैलतुल बराअत” होता। शब-ए-बारात दो शब्दों के मेल (शब और बारात) से बना है। शब मतलब रात होता है। जबकि बारात का सही अर्थ बरी होना होता है। इसे इबादत और गुनाहों का माफी का रात कहा जाता है। मुसलमान अपने गुनाहों की माफी अल्लाह से मांग कर बरी हो सकता है। अगले दिन रोजा रखा जाता है। इस साल देश भर में शब-ए-बारात का त्योहार 7 मार्च को मनाया जाएगा।
2023 में शबे बरात कितने तारीख को है?
7 मार्च 2023 को ही है। क्योंकि 22 फरवरी 2023 को शआबान महीने की 1 तारीख हो सकती है। इसी महीने के 14 तारीख को शबे बरात का त्यौहार मनाया जाता है। हिजरी कैलेंडर के अनुसार शाबान (आठवां महीना) महीने के 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद, यह त्यौहार शुरू हो जाती है। जो पूरे रात से सुबह के फजर (सुबह) तक होता है।
आपको बता दें कि यह एक रात का त्यौहार है। यह त्यौहार 7 मार्च के संध्या के समय से शुरू जाएगा। जो 8 मार्च के सुबह तक चलेगा। भारत ही नहीं दुनिया भर के मुसलमान शबे बारात की रात को कब्रिस्तान जाकर अपने बुजुर्गों की कब्र पर दुआ और फातिहा पढ़ते हैं। यही नहीं मज़ारों पर हाज़िरी भी देते है।
मर्द मुसलमान शबे बरात की रात में मस्जिदों में रात भर जाग कर अल्लाह की इबादत करते हैं। यही नहीं जगह-जगह जलसे और महफ़िल ए मिलाद़ की महफ़िल सजती है। इस साल सादगी के साथ इस त्यौहार को मनाएं और दुआ करें कि भारत के लोगों को अल्लाह ताला कोरोना जैसी बीमारी से बचाए।
पहली बार दुनिया में शब-ए-बारात कब मनाया गया था?
दुनिया वालों ने पहली बार इस त्यौहार को कब मनाया था। अल्लाह के नबी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म में से लेकर पालन-पोषण तक मक्का में हुआ। आपने लोगों को इस्लाम अपनाने के लिए कभी मजबूर नहीं किये थे। लेकिन आपके कामों ने लोगों को शांति के धर्म के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। जैसे-जैसे दिन गुजरता गया, वह काफी प्रसिद्ध हो गये। उसकी शिक्षाओं ने एक धर्म के तहत पूरे अरब प्रायद्वीप के एकीकरण को प्रेरित किया। मक्का के तत्कालीन राजनीतिक शासकों खतरा महसूस होने लगा। आप पर दबाव बनना शुरू हुआ। जिसने इस्लाम के दूत को पवित्र शहर – मक्का को 622 शताब्दी में छोड़ने के लिए मजबूर किया और मदीना चले गये। पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अभियान के दौरान, उन्होंने रक्तपात से परहेज किया और कई लोगों को माफी दे दी। आप 630वीं शताब्दी में मक्का लौटने की यह विशेष रात को मुसलमानों के द्वारा शब ए बारात मनाई जाती है। दुनिया भर में रहने वाले मुसलमानों का मानना है कि दुनिया वालों ने पहली बार 630वीं शताब्दी यह त्यौहार मनाया।
शब-ए-बारात के सही नाम को जान लें
अक्सर लोग यह जानना चाहते हैं कि मुसलमान शब ए बारात क्यों मनाते हैं ? शब-ए-बारात दो शब्दों के मेल (शब + बारात) से बना है। शब मतलब रात होता है। जबकि बारात का अर्थ बरी होना होता है। यह एक इबादत की रात है जिसमें मुसलमान अपने अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगते हैं। गुनाहों की तौबा करते हैं। इस रात को अल्लाह पाक तौबा ज्यादा कबूल करते हैं।
अल्लाह पाक रहमतों व नेकियों के दरवाजे खोल देते हैं। दुनिया में रहमत के फरिश्तों को भेजते हैं। शबे बरात की रात अल्लाह पाक अपने बंदो के लिए रोजी रोटी व मौत हयात आदि का फेहरिस्त तैयार करते हैं।
इस्लाम के चार बड़ी रातों में से एक है शबे कद्र की रात, जान लीजिए
इस्लाम में इबादत करने के अनुसार पहले नंबर पर आशूरा की रात है, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात व चौथी शब-ए-कद्र होती है। इन रातों की इबादत काफी बेहतर माना जाता है।
शब ए बारात की रात में क्या पढ़े?
शब ए बारात की इबादत कैसे करें? शब ए बारात की नमाज़ में मुख्यतः नफल व तहजूद है। शबे बारात की दुआ में अपने और परिवार के लोगों लिए माफी जरूर मांगना चाहिए।
शब ए बारात की रात इबादत की रात है। पूरी रात इबादत में ही गुजारना चाहिए। रात के पहले हिस्से में कब्रिस्तान जरूर जाना चाहिए। नफल व तहजूद के नमाज़ के इलावा जो अभी समय बचे उसे तिलावते कुरआन को देना चाहिए।
रोजा रखने की फजीलत?
शब ए बारात की रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। बरकत वाली इस रात में हर जरूरी और सालभर तक होने वाले काम का फैसला किया जाता है और यह तमाम काम फरिश्तों को सौंपा जाता है। मुसलिम समुदाय के कुछ लोग शब-ए-बारात के अगले दिन रोजा भी रखते है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि रोजा रखने से इंसान के पिछली शब-ए-बारात से इस शब-ए-बारात तक के सभी गुनाहों से माफी मिल जाती है।
FAQ
- प्रश्न 1 – कब मनाया जाता है, शबे बारात?
उत्तर – इस्लामिक कैलेंडर या हिजरी कैलेंडर के अनुसार शाबान (आठवां महीना) महीने के 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद, यह त्यौहार शुरू हो जाती है। जो पूरे रात से सुबह के फजर तक होता है।
- प्रश्न 2 – भारत में शबे बारात कब है 2023?
उत्तर – शब ए बारात 2023 जैसे शब्द से आप सर्च करते हैं। आप यह जाना चाह रहे हैं कि शबे बारात कब है ?
भारत में शबे बरात का त्यौहार 7 मार्च 2023 दिन को मनाया जाएगा।
- प्रश्न 3 – 7 या 8 मार्च 2023 को शबे बरात का त्यौहार होगा?
उत्तर – रज्जब महीना 29 दिनों का हुआ है, 22 फरवरी 2023 को शआबान महीने की 1 तारीख है। 14वां शआबान 7 मार्च को है।