शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व वीरभद्र सिंह की सरकार में दो बार मंत्री रह चुके जीएस बाली का देहांत हो गया है। कांगड़ा जिला के नगरोटा बंगवा विधानसभा से ताल्लुक रखने वाले जीएस बाली ने नई दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में शुक्रवार की रात दो बजे अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे, जिनका एम्स अस्पताल में इलाज जारी था।
जीएस बाली का जन्म 26 जुलाई 1954 को हुआ था, वहीं 67 वर्ष की उम्र में उनका देहावसान हो गया।
उनके बेटे रघुबीर बाली ने सोशल मीडिया पर पिता के स्वर्गवास होने की जानकारी दी है। रघुबीर बाली ने फेसबुक पर पोस्ट किया है कि दुखद मन से सूचित करना पड़ रहा है कि पूजनीय पिताजी जीएस बाली अब हमारे बीच नहीं रहे, बीती रात उन्होंने दिल्ली स्थित एम्स में आखिरी सांस ली। रघुबीर बाली जो कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी हैं,ने लिखा है कि पिताजी भले ही दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके आदर्श और मार्गदर्शन हमारे और आपके दिलों में हमेशा कायम रहेगा।
इस बीच उनका पार्थिव शरीर एयर एम्बुलेंस में दिल्ली से कांगड़ा उनके पैतृक स्थान लाया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ रखा जाएगा।
कांग्रेस के तेज तर्रार नेता जीएस बाली का राजनीति में लंबा सफर रहा है। वह वर्ष 1995 से 1998 तक कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष रहे। 1998 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद 2003, 2007 और 2012 में लगातार चुनाव जीते। उन्होंने वीरभद्र सिंह सरकार में 6 मार्च 2003 को राज्य के परिवहन मंत्री के तौर पर भी जिम्मेदारी संभाली थी। जनवरी 2013 में दोबारा वह परिवहन मंत्री बने। वर्ष 2017 में वह नगरोटा बंगवा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के अरुण कुमार से विधानसभा का चुनाव हार गए थे।
जीएस बाली को कांगड़ा जिला ही नहीं अपितु प्रदेश के ऐसे नेताओं में गिना जाता था जो जबरदस्त उत्साही तथा ऊर्जावान थे, उनमें कार्यकर्ताओं में भी जोश और उत्साह भरने का विशेष गुण मौजूद था।
उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित भाजपा व कांग्रेस के नेताओं ने बाली के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने कहा है कि जीएस बाली का निधन कांग्रेस पार्टी और हिमाचल के लिए ऐसी अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई कभी भी संभव नहीं हो सकती।
गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस ने एक साल के भीतर तीन बड़े नेताओं को खो दिया है। जुलाई माह में छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का निधन हुआ था। जनवरी माह में कांगड़ा जिला से ही ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया ने दुनिया को अलविदा किया था। वीरभद्र सिंह और सुजान सिंह पठानिया विधानसभा में विधायक थे और उनके निधन के कारण अर्की व फतेहपुर विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है।