दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने मारपीट मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों को आरोपों से बरी करने के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की याचिका पर सुनवाई करते हुए बरी किए गए सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया है। स्पेशल जज गीतांजलि गोयल ने नोटिस जारी किया।
नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने मारपीट मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों को आरोपों से बरी करने के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की याचिका पर सुनवाई करते हुए बरी किए गए सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया है। स्पेशल जज गीतांजलि गोयल ने नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने 11 अगस्त को मुख्यमंत्री केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री सिसोदिया समेत 11 विधायकों को आरोपों से बरी कर दिया था। कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के विधायकों प्रकाश जारवाल और अमानतुल्लाह खान के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने जिन्हें आरोपों से बरी किया था, उनमें मुख्यमंत्री केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री सिसोदिया, राजेश ऋषि, नितिन त्यागी, प्रवीण कुमार, अजय दत्त, संजीव झा, ऋतुराज झा, राजेश गुप्ता, मदनलाल और दिनेश मोहनिया शामिल हैं।
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इस मामले में अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि 19-20 फरवरी, 2018 की आधी रात को मुख्यमंत्री केजरीवाल की मौजूदगी में बुलाई गई बैठक में उनके साथ आप के विधायकों ने मारपीट और बदसलूकी की थी। इस मामले में दायर आरोप पत्र में केजरीवाल, सिसोदिया समेत 13 विधायकों को आरोपित किया गया था।
आरोप पत्र में पुलिस ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के तत्कालीन सलाहकार वीके जैन को मुख्य चश्मदीद गवाह बनाया है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि मुख्य सचिव को तीन सीटों वाले सोफे में अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जारवाल के बीच में बैठने को कहा गया। आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। सुनवाई के दौरान उत्तरी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त ने कोर्ट में बताया था कि उन्होंने अंशु प्रकाश के चेहरे पर लगी चोटें देखी थीं।