नई दिल्ली। शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि नई शिक्षा नीति में किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी।
शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 और 1986 की तरह, दोहराती है कि संवैधानिक प्रावधानों, लोगों, क्षेत्रों और संघ की आकांक्षाओं और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए त्रिभाषा सूत्र लागू किया जाना जारी रहेगा। हालांकि, त्रिभाषा फार्मूले में अधिक लचीलापन होगा और किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी। बच्चों द्वारा सीखी जाने वाली तीन भाषाएँ राज्यों, क्षेत्रों और निश्चित रूप से स्वयं छात्रों की पसंद होंगी, जहां तीन में से कम से कम दो भाषाएँ भारत की मूल भाषाएं हों।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों, भारत सरकार के मंत्रालयों, संसद सदस्यों, जनता आदि को शामिल करते हुए ऑनलाइन, जमीनी स्तर और विषयगत विशेषज्ञ परामर्श के माध्यम से अत्यधिक भागीदारी, समावेशी और बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया के बाद अंतिम रूप दिया गया है।
सुभाष सरकार ने बताया कि शिक्षा मंत्रालय, अन्य संबंधित मंत्रालयों/विभागों, राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों और उनके अधिकार क्षेत्र में कार्यान्वयन एजेंसियों ने एनईपी 2020 के कार्यान्वयन की दिशा में पहल करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, स्कूली शिक्षा के लिए पाठ्यचर्या और शैक्षणिक संरचना और पाठ्यचर्या ढांचे को 5 3 3 4 डिजाइन द्वारा निर्देशित किया जाना है और उच्च शिक्षा में, स्नातक की डिग्री या तो 3 या 4 साल की अवधि के भीतर कई निकास विकल्पों, उपयुक्त प्रमाणपत्रों के साथ होगी।