लंदन। आपूर्ति की अपेक्षा मांग अधिक होने के कारण वर्ष 2021 की तरह ही वर्ष 2022 में भी तेल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहेगी। वर्ष 2021 में तेल के दामों में 50 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी। विश्लेषकों का अनुमान है कि उत्पादन क्षमता की कमी और इस क्षेत्र में सीमित निवेश के कारण कच्चे तेल को की कीमत 90 या 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर उठा सकता है। जिससे पेट्रोल डीजल की दामों में 35% कई बढ़ौतरी होगी।
हालांकि ओमिक्रोन वैरिएंट ने कोरोना वायरस के मामलों को पिछले साल की तुलना में पीछे छोड़ दिया है।विश्लेषकों का कहना है कि तेल की कीमतों को कई सरकारों की अनिच्छा से समर्थन मिलेगा, जो कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले सख्त प्रतिबंधों को बहाल करने के लिए है। कच्चे तेल की कीमत बुधवार को 85 डॉलर रही, जो पिछले दो महीने का उच्चतम है।
ओएएनडीए के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक जेफरी हैली ने बताया कि चीन को तीसरी लहर का सामना नहीं करना पड़ा है। ओपेक और अन्य देशों का उत्पादन सीमित होने कारण मुझे कोई कारण नजर नहीं आता कि कच्चे तेल का दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक होगा। हालांकि, कई छोटे उत्पादक आपूर्ति नहीं बढ़ा सकते हैं और अन्य नए कोविड-19 असफलताओं के मामले में बहुत अधिक तेल उत्पादन करने से सावधान रहे हैं।