राजस्थान। राजस्थान के भरतपुर में ऑनलाइन ठगी करने वाले बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है. यह रैकेट 15 राज्यों में ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहा था. पिछले तीन महीनों के अंदर पुलिस ने 100 से अधिक ठगों को गिरफ्तार किया है. यह ठग ऑनलाइन सेक्सुअल चैट के जरिए लोगों को फंसाते फिर उनसे ब्लैकमेलिंग करते थे.
इस रैकेट में शामिल एक ठग ने कहा कि मेवात इलाके में ऑनलाइन ठगी गैंग में शामिल बच्चे से बुजुर्ग तक सभी अनपढ़ हैं और वह 10 से 20 लाख रुपए हर महीने कमा लेते हैं. यह ठग बुजुर्ग लोगों से फेसबुक के जरिए लड़की बनकर फ्रेंडशिप करते और फिर उनके साथ सेक्सुअल वीडियो चैट करके ब्लैकमेलिंग करते थे.
ठग का कहना है, ‘उस व्यक्ति को ब्लैकमेल करते हुए धमकी देते कि आपकी लड़की के साथ ऑनलाइन सेक्सुल एक्टिविटी करते हुए वीडियो रिकॉर्ड कर लिया है और अब इसे यूट्यूब पर वायरल कर आपको बदनाम किया जाएगा, जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति भयभीत हो जाता है उनके झांसे में आ जाता है.’
ठग ने बताया कि वह पीड़ित से 10 से 50 लाख रुपये तक वसूली कर लेते थे. ठग का दावा है कि यहां मेवात इलाके में किसी भी राज्य की सिम 1000 रुपये में आसानी से मिल जाती है और उसका उपयोग ऑनलाइन ठगी के लिए करते हैं और फिर उस सिम को पानी की बोतल में डाल देते हैं, जिससे उस नंबर की सिम की लोकेशन पुलिस ट्रेस नहीं कर सके.
मेवात इलाके के ठग अपने जिले या अपने राज्य में ठगी की वारदातों को अंजाम नहीं देते हैं बल्कि ज्यादातर पूर्वी, दक्षिण भारत और मध्य भारत के राज्य में अंजाम देते हैं, जिसका नतीजा है कि भरतपुर जिले में इन ठगों के खिलाफ आज तक कोई मामला दर्ज नहीं हो पाया है, जबकि अन्य राज्यों की पुलिस मामला दर्ज करके यहां स्थानीय पुलिस से संपर्क करती.
सेक्सुअल वीडियो चैट के अलावा ये ठग ओएलएक्स के जरिये वाहन सस्ते दामों में बेचने का झांसा देकर लोगों के साथ ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं. खास बात है कि इसके लिए ठग किसी आर्मी कर्मचारी, अधिकारी की वर्दी के साथ फोटो व सैन्य ग्रुप के फोटो, हथियार सहित कैंटीन कार्ड,आर्मी के कर्मचारी का परिचय पत्र आदि डालकर चैट करते थे.
जिला पुलिस अधीक्षक देवेंद्र कुमार बिश्नोई ने बताया कि जिले की कुछ तहसीलों में ठग गिरोह संचालित है, जो देश के अनेकों राज्यों में भोले भाले लोगों को झांसे में लेकर उनके साथ ऑनलाइन ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, हम लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं, जिससे ऑनलाइन ठगी की वारदात कम हो.