नई दिल्ली। SARS-CoV-2 सहित कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सभी वायरस वक्त के साथ बदल रहे हैं. ज्यादातर बदलाव का असर वायरस के गुणों पर नहीं पड़ता है लेकिन कुछ बदलाव वायरस के गुण पर भी प्रभाव डाल सकता है. जैसे कि वायरस काफी तेजी से फैले या इसका स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो या इसपर वैक्सीन का कितना असर होगा, आदि. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इन तमाम बदलाव को लेकर अपनी नजर बनाए हुए है.
इस बीच कोरोना वायरस के नए म्युटेशन ‘Mu’ की जानकारी सामने आई है. यह वेरियंट पहली बार जनवरी में कोलंबिया में मिला था. इसे B.1.621 के रूप में जाना जाता है. WHO ने कहा है कि वह ‘Mu’ नामक एक नए कोरोना वायरस संस्करण की निगरानी कर रहा है. 30 अगस्त को इसे ‘वेरिएंट आफ इंटरेस्ट’ (VOI) के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
WHO के मुताबिक इस वेरिएंट में ऐसे म्यूटेशन हैं जो कोरोना टीका के प्रभाव को कम करने में कारगर है. यानी कि टीका लगाने के बाद भी यह वेरिएंट बुरा प्रभाव डाल सकता है. इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता है. बताया गया है कि ‘Mu’ संस्करण कई म्यूटेशन का जोड़ है. नए वायरस म्यूटेशन के उभरने से व्यापक चिंता बनी है क्योंकि संक्रमण दर फिर से विश्व स्तर पर बढ़ रहा है. यह अत्यधिक संक्रामक डेल्टा संस्करण के कारण बढ़ रहे हैं.
बता दें, कोरोना के डेल्टा वेरियंट का कहर फिलहाल दुनिया के कई देशों में जारी है. उसके बाद आए डेल्टा प्लस वेरियंट के भी कई मामले पूर दुनिया में सामने आ रहे हैं. कुछ दिनों पहले दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों में सामने आए कोराना के नए वेरियंट ने भी लोगों की चिंताएं बढ़ा रखी हैं. आशंका है कि C.1.2 वेरियंट पहले के सभी स्वरूपों से अधिक संक्रामक हो सकता है और कोरोना वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा को भी बेअसर कर सकता है.
दक्षिण अफ्रीका स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज एवं क्वाजुलु नैटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लैटफॉर्म के वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप सी.1.2 का, सबसे पहले देश में इस साल मई में पता चला था. उन्होंने कहा कि तब से लेकर गत 13 अगस्त तक यह स्वरूप चीन, कांगो, मॉरीशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में मिल चुका है.