रांची। गोवर्धन पूजा के अवसर पर चौधरी बगान हरमू रोड ब्रह्माकुमारी केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने सन्देश दिया कि गोवर्धन पूजा उत्सव को सार्थक मनाने के लिए परमात्मा प्रजापिता ब्रह्मा तथा देवता श्रीकृष्ण इन तीनों के पूर्ण सत्य परिचय को प्राप्त करना अनिवार्य है। वास्तविक परिचय ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सेवा केन्द्रों से मिल सकता है।
अब भगवान अवतरित होकर अधर्म के विनाश और सत्य धर्म की पुनः स्थापना का जो बड़ा भारी कार्य करते हैं वह भी पर्वत को उठाने जैसा कार्य है। उसमें अनेक विघ्न भी पड़ते हैं और संकट भी आते हैं। परन्तु भगवान में यह सामर्थ्य है कि वह उस कार्य को पूरा कर लेते हैं।
भगवान के इस कर्तव्य को मुहावरों में कह दिया गया है जब अत्यन्त जोर की वर्षा हुई तो भगवान ने गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली पर उठा लिया और नर नारियो को उसके नीचे रक्षा दी। छोटी अंगुली से पर्वत को उठा लेना किसी महान कार्य को सहज रीति कर लेने की सामर्थ्य का सूचक है। अतः भाव यह है कि परमपिता परमात्मा शिव तो सर्वशक्तिमान हैं इसलिए उन्होंने अपनी शक्ति द्वारा सत्य धर्म संपन्न, सतयुगी दैवी एवं पुज्य सृष्टि को स्थापन करने का कार्य सहज ही कर लिया। यहाँ पर्वत का नाम गोवर्धन दिया गया है। गोवर्धन का अर्थ है जिससे गोऐं बढ़ती हों। गोऐं दूध की, धन धान्य एवं सम्पति की तथा धर्म और शील की भी प्रतीक है। अतः सतयुगी सृष्टि में दूध और घी की नदियां बहतीं थीं और लोग सुख सम्पति से युक्त, सुशील तथा धर्म निष्ठ थे।
परंतु इस आध्यात्मिक रहस्य को न जानने के कारण लोग समझते हैं कि श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठा लिया। पर्वत को उठाने के लिए कोई साकार व्यक्ति चाहिए और गोवर्धन पर्वत तो ब्रज में ही है, अतः उन्होंने इस वर्णण से यह अर्थ ले लिया कि गीताज्ञान द्वारा सत्य धर्म की स्थापना का महान कार्य श्रीकृष्ण ने किया था और कि गीता के भगवान ने यह कर्तब्य ब्रज में किया था यद्यपि वास्तविकता यह है कि सृष्टि को पवित्र बनाने का पर्वत जैसा भारी कार्य अशरीरी परमात्मा ज्योतिर्लिगम शिव ने ही किया था।
मानवता की सेवा में
(ब्रह्माकुमारी निर्मला)
केन्द्र प्रशासिका
नया युग आध्यात्मिक युग होगा
पवित्रता ही सुख शांति की जननी हैं हर कीमत पर इसकी रक्षा करना अपना सर्व प्रथम कर्तव्य है।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्वविद्यालय
चौधरी बगान, हरितभवन के सामने हरमूरोड, रॉची- 834001