रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ. एम. तौसीफ ने बाबूलाल मरांडी को सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेता की मान्यता को लेकर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि बाबूलाल मरांडी प्रतिपक्ष के नेता बनने के लिए लालायित हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद नेता प्रतिपक्ष की मान्यता के लिए दर-बदर गुहार लगाते चल रहे हैं। उन्होंने अपने गंभीर छवि को भाजपा में शामिल होकर धूमिल कर लिया है। राज्य की जनता अब उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेती है, जबरदस्ती बयानबाजी कर सुर्खियों में रहना चाहते हैं।
डॉक्टर तौसिफ ने कहा कि बाबूलाल मरांडी का बीजेपी में शामिल होने के बाद आदिवासी- मूलवासी से मोह माया खत्म हो गया है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहले बाबूलाल दिन-रात आदिवासी-मूलवासी को लेकर घड़ियाली आंसू बहाते थे, लेकिन अब उनके बयान से ऐसा लगता है कि उनको राज्य की जनता से कभी भी लेना देना नहीं रहा है। जिस तरह से इनकी पूर्व की पार्टी जेवीएम को राज्य की जनता ने कई बार चुनाव में नकारा है। उसका बदला राज्य की जनता से भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर लेना चाहते हैं, यही वजह है कि केंद्र सरकार के कोल ब्लॉक नीलामी योजना को समर्थन कर रहे हैं। कल तक आदिवासी-मूलवासी एवं जल, जंगल, जमीन का समर्थन करने वाले बाबूलाल आज राज्य की जल, जंगल जमीन को बड़े आसानी से कोल ब्लॉक नीलामी के नाम पर देने की तरफदारी कर रहे हैं।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा के नेताओं ने केंद्र सरकार को सलाह दिया है कि झारखंड के कॉल ब्लॉक के नाम पर नीलाम किया जाए। केंद्र सरकार नीलामी के लिए कदम आगे बढ़ा चुकी है। डॉ एम तौसीफ ने कहा है कि बीजेपी के राजनैतिक चरित्र को राज्य की जनता बखूबी समझ चुकी है। अब उनके झांसे में आने वाली नहीं है। केंद्र सरकार अपनी योजना के मुताबिक झारखंड में भी कोल ब्लॉक का नीलामी कर प्राइवेटाइजेशन की तरफ कदम बढ़ा चुकी है।
केंद्र सरकार पूर्व में रेलवे स्टेशन एवं एयरपोर्ट को प्राइवेटाइज कर चुकी है उसी योजना के अनुसार झारखंड में भी कॉल ब्लॉक नीलामी करके अपने कुछ चुनिंदा दोस्तों को देने के लिए परेशान है। उसी कड़ी में पूरी तरह से प्राइवेटाइजेशन के तरफ कदम बढ़ा चुकी है। भारतीय जनता पार्टी और उनके नेता कोरोना की आड़ में अपने पूंजीपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए झारखंड के खनिज संपदा को उनके हवाले करना चाहते हैं और राज्य की जनता के हाथ में कटोरा देकर दर-बदर भटकने के लिए बेबस करना चाहते हैं इनकी मंशा को कांग्रेस पार्टी एवं झारखंड सरकार कभी पूरा नहीं होने देगी। राज्य की जनता के सामने यह बेनकाब हो चुके हैं।
राज्य में कोयला एकमात्र ऐसा साधन है जो यहां की जनता खदानों में काम कर अपना पालन पोषण करती है। इसको भी मोदी सरकार चुनिंदा दोस्तों को हाथ में देकर रोजगार को खत्म करना चाहती है। जहां दो करोड़ हर साल रोजगार देने की बात करते थे। आज ऐसी हालत हो गई है कि रोजगार मिलना तो दूर बचाना मुश्किल है। केंद्र सरकार के कोल ब्लॉक नीलामी के खिलाफ झारखंड सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में जो याचिका दिया है। राज्य की जनता के हित में है और यह कदम सराहनीय है।