स्वास्थ बहुत बड़ा धन है। कहा जाता है, पहला सुख निरोगी काया।
धनतेरस
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विष्वविद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र, चौधरी बगान, हरमू रोड रॉची में केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने धन तेरस के पुर्व संध्या पर अपने विचार संदेश देते हुए कहा – दीपावली से दो दिन पूर्व धन-तेरस नाम से त्योहार मनाया जाता है। इसका संबंध अन्न और स्वास्थ से है। वैद्य धनवन्तरी का जन्मदिन इस दिन मनाया जाता है और नई खरीफ की फसल की खीलें तैयार कर, नए बर्तनों में डालकर भगवान को भोग लगाकर बाद में स्वयं उपयोग किया जाता है।
स्वास्थ बहुत बड़ा धन है। कहा जाता है, पहला सुख निरोगी काया। काया के निरोग होने पर ही धन या जन का सुख मिल सकता है। आध्यात्मिक साधना के लिए, आत्मा का दीप जलाने के लिए भी काया निरोगी चाहिए। काया को स्वस्थ बनाने के लिए मन और अन्न दोनो सात्विक चाहिए। हम केवल एक धन तेरस के दिन नए बर्तनों में, नया अनाज भगवान को भोग लगाते हैं लेकिन एक दिन के भोग से तो आत्मा का दीप नहीं जल सकेगा। आत्म-दीप तो तब जले जब प्रतिदिन, पवित्र वर्तन में सात्विक पदार्थों से बने भोजन का कुछ अंश डालकर, प्रकाशपुंज परमात्मा को भोग लगाया जाये और फिर उस प्रसाद रूप भोजन को परमात्मा की याद में ही स्वीकार किया जाये। भगवान जब प्रकाश की दुनिया अर्थात् सतयुग का निर्माण करने धरती पर आते हैं तो मानवात्माओं को शुद्ध-सात्विक प्रसाद रूप भोजन खिला-खिलाकर उनके बुझे दीप को ज्ञान-घृत से प्रज्वलित कर देते हैं। उसी की यादगार में धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।
मानवता की सेवा में
(ब्रह्माकुमारी निर्मला)
केन्द्र प्रषासिका
नया युग आध्यात्मिक युग होगा
पवित्रता ही सुख शान्ति की जननी हैं हर कीमत पर इसकी रक्षा करना अपना सर्वप्रथम कर्तव्य है।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय
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