रांची। राज्य के 65000 पारा शिक्षकों के सब्र का बांध टूट रहा है। पारा शिक्षकों ने सरकार पर छलने का भी आरोप लगाया है. पारा शिक्षकों के सिद्दिकी गुट ने तीन अक्टूबर को पारा शिक्षकों की एक बड़ी बैठक बुलायी है जिसमें सरकार के रवैये का विरोध किया जायेगा. पारा शिक्षकों के सिद्दिकी गुट के महासचिव विकास कुमार चौधरी कहते हैं कि नियमावली पर सबसे पहले पारा शिक्षकों को विश्वास में लिया जाना चाहिए लेकिन अबतक ऐसा नहीं हुआ है. विकास कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार दस दिनों के भीतर पारा शिक्षकों की समस्या का पटाक्षेप करना चाहती है, लेकिन अभी तक पारा शिक्षकों को नियमावली देखने तक को नहीं दी गयी है. यह छल नहीं तो और क्या है.
दरअसल, राज्य के पारा शिक्षकों को लग रहा है कि शिक्षा विभाग उनके साथ छल कर रहा है. पारा शिक्षकों का मानना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी और खुद मंत्री अपनी कही बातों से पीछे हट रहे हैं. सात अगस्त को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के अध्यक्षता में विभागीय अधिकारी की उपस्थिति में बिहार मॉडल की नियमावली के आधार पर झारखंड के पारा शिक्षकों को समायोजन एवं वेतनमान देने पर सहमति बनी थी. लेकिन अबतक ऐसा नहीं हुआ है. लिहाजा पारा शिक्षक गुस्से में हैं.
पारा शिक्षकों के नेता संजय दूबे कहते हैं कि अगर विभागीय मंत्री के पुराने बयान को ही आधार बनाया जाये तो पारा शिक्षकों को नियमावली पर सुझाव और आपत्ति देने का पूरा अधिकार है. संजय दूबे कहते हैं शिक्षा मंत्री ने खुद भी ऐसा पारा शिक्षकों से कहा था. संजय दूबे ने कहा कि कल्पना कीजिए कि पारा शिक्षकों की नियमावली बन गयी और पारा शिक्षकों को ही इस पर अंसतोष रहा तो फिर से पुरानी समस्या उभरने लगेगी. मसलन, नया आंदोलन नियमावली बदलने को लेकर होगा, ऐसा नहीं होना चाहिए. अगर पारा शिक्षकों को विश्वास में लिए बगैर कोई नियमावली बनती है तो नये सिरे से पारा शिक्षक आंदोलन कर सकते हैं.
शिक्षा मंत्री का यह कहना है
सूबे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो कहते हैं कि पारा शिक्षकों की समस्या का समाधान करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल रहा है. कोई भी अंतिम फैसला लेने से पहले पारा शिक्षकों को विश्वास में लिया जायेगा. जगरनाथ महतो ने कहा कि यह बात कहां से आ गयी कि पारा शिक्षकों को नियमावली नहीं दिखायी जायेगी. उन्होंने कहा कि हम पुरानी समस्या का जड़ से इलाज करना चाहते हैं ना कि नयी समस्या को पैदा करना चाहते हैं. पारा शिक्षक धैर्य रखें उन्हें नियमावली ना सिर्फ दिखायी जायेगी बल्कि उनसे सुझाव और आपत्ति भी लिया जायेगा.