रांची। डीजीपी एमवी राव ने कहा कि झारखंड पुलिस राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि ओरमांझी हत्याकांड को लेकर सोशल मीडिया में जस्टिस फॉर निर्भया ऑफ रांची कैंपेन चलानेवालों को झारखंड पुलिस नोटिस भेजेगी। ऐसे लोगों से पूछा जायेगा कि उन्हें यह जानकारी कैसे और कहां से मिली कि जिस युवती की सिर कटी लाश ओरमांझी में मिली थी उसके साथ गैंगरेप हुआ था। डीजीपी एमवी राव शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे।
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उन्होंने पूर्व में दिये अपने बयान की आलोचना पर भी कहा कि पुलिस गुंडों के हाथ-पैर नहीं तोड़ेगी, तो क्या उन्हें माला पहनायेगी। डीजीपी ने ओरमांझी में सूफिया हत्याकांड का खुलासा करने के लिए रांची पुलिस की पीठ थपथपायी और एसएसपी की पूरी टीम को बधाई दी। डीजीपी ने कहा कि सूफिया हत्याकांड का खुलासा करनेवाली पूरी टीम को इनाम दिया जायेगा। डीजीपी एमवी राव ने कहा कि ओरमांझी में हत्याकांड के बाद सोशल मीडिया पर जस्टिस फॉर निर्भया कैंपेन चलाया गया। जिन लोगों ने जस्टिस फॉर निर्भया कैंपेन चलाया, उनको झारखंड पुलिस नोटिस देगी और उनसे पुलिस पूछताछ करेगी कि हत्याकांड की इतनी जानकारी उन्हें कैसे और कहां से मिली। डीजीपी ने कहा कि ओरमांझी में युवती की सिर कटी लाश मिलने के बाद कुछ लोगों ने उस युवती के धर्म, जाति के साथ-साथ यह भी निर्धारित कर दिया कि उसका गैंगरेप हुआ। ऐसे लोगों ने कुछ अन्य एजेंसियों से भी मामले की जांच कराने की मांग रखी है। कहीं भी किसी महिला की लाश मिलती है, तो लोग इस नतीजे पर कूद जाते हैं कि उस महिला को गैंगरेप कर मार दिया गया है। ओरमांझी हत्याकांड को लेकर भी कुछ लोगों ने सोशल मीडिया में लिखा- रांची के निर्भया को जस्टिस दो, जस्टिस फॉर रांची निर्भया। इन लोगों को झारखंड पुलिस नोटिस दे रही है। उनसे पूछा जा रहा है कि ओरमांझी हत्याकांड का मामला रांची की निर्भया का मामला है, उसके साथ गैंगरेप हुआ था इसकी जानकारी उन्हें कैसे मिली इसका जवाब दें।
डीजीपी ने कहा कि वर्ष 2021 झारखंड पुलिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती लेकर आया। झारखंड पुलिस ने चुनौती का सामना करते हुए मामले का खुलासा करने में सफलता हासिल की। डीजीपी ने अपील करते हुए कहा कि अमनपसंद जनता तक कुछ बातें पहुंचानी है। सभी लोग जानते हैं कि कहीं भी अपराध होने पर लोगों में भय और आक्रोश दोनों व्याप्त होता है, लेकिन अपराध का सामना अच्छे आचरण से और पुलिस की सहायता कर और सतर्क रहकर अपने अच्छे नागरिक होने की जिम्मेदारी निभाकर करना है, न कि अपराध की आड़ में कानून व्यवस्था को प्रभावित करके या किसी जहरीली विचारधारा को आगे बढ़ाकर। यह नहीं होना चाहिए। नहीं तो जनता ही उसकी भुक्तभोगी बनेगी। कम से कम रीजनेबल टाइम पुलिस को मिलना चाहिए।
डीजीपी ने कहा कि अपराध के बारे में तहकीकात हो। कोई घटना होते ही पुलिसकर्मी पर हमला कर देना और राज्य के मुख्यमंत्री के काफिले पर पथराव कर देना अपराध से जनित आक्रोश नहीं है। अपराध की आड़ में किसी दूसरे प्रयोजन के लिए किया जानेवाला कुकृत्य है। यह पूर्ण रूप से आपराधिक कृत्य है। इस मामले में से 76 नामजद अभियुक्तों के विरुद्ध कांड दर्ज है। 36 गिरफ्तार हो चुके हैं। डीजीपी ने कहा कि इस मामले में जिनका भी नाम है, वे जल्द से जल्द न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दें, नहीं तो पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
डीजीपी ने कहा कि कुछ अभियुक्तों के माता-पिता मुझे फोन करके और मिलकर बता रहे हैं कि ये तो बच्चे हैं, इनको गुमराह किया गया। आप उनको क्यों नहीं पकड़ते, जिन लोगों ने इनका इस्तेमाल किया। डीजीपी ने कहा कि पुलिस उनके द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर भी आगे की कार्रवाई करेगी। डीजीपी ने कहा कि पुलिस का मनोबल तोड़ने के लिए बहुत कुछ कहा गया। गुमराह करने और कार्रवाई रोकने का प्रयास किया गया। झारखंड पुलिस झारखंड में कानून-व्यवस्था बनाये रखने और लोगों के जान-माल की रक्षा के लिए कृतसंकल्प है। इसमें हमलोगों को कोई डिगा नहीं सकता और न ही कोई ताकत रोक सकती है।
डीजीपी ने कहा कि जेल में बंद कुछ माफिया तत्व बाहर अपने आपको उग्रवादी संगठन के स्प्लिंटर ग्रुप (अलग अपराधी गिरोह) बताकर व्यवसायियों से पैसा मांग रहे हैं। ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई होगी। डीजीपी ने कहा कि व्यवसायी अपना काम नॉर्मल ढंग से करें, उसकी व्यवस्था पुलिस ने की है। आपराधिक कृत्यों पर नकेल कसी जायेगी। उनके खिलाफ इतनी कठोर कार्रवाई होगी कि उनलोगों को समझ में आ जायेगा कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की। कुछ सफेदपोश लोग उन्हें मदद पहुंचा रहे हैं, उनकी भी पहचान हो रही है। आनेवाले दिनों में उन पर भी कार्रवाई होगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडीजी मुरारी लाल मीणा, पुलिस प्रवक्ता साकेत कुमार सिंह, आईजी अखिलेश झा ,एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा, ग्रामीण एसपी नौशाद आलम सहित अन्य पुलिसकर्मी मौजूद थे।