रांची। झारखंड हाई कोर्ट में बुधवार को भाजपा के कांके विधायक समीर लाल ने रिट याचिका दाखिल की है। याचिका में उन्होंने कास्ट स्क्रूटनी कमिटी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके जाति प्रमाण पत्र को ग़लत करार दिया गया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हर्ष कुमार हैं।
हर्ष कुमार ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि बिना किसी ठोस आधार के समरी लाल की जाति प्रमाण पत्र को अवैध करार दिया गया है। यह नैसर्गिक न्याय नहीं है। प्रार्थी ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 1956 में एकीकृत बिहार में उस जाति को एसटी में शामिल किया गया था, जिस जाति से वे आते हैं। लेकिन एक अप्रैल को स्टेट स्क्रूटनी कमिटी ने बिना किसी गवाह और ठोस साक्ष्य के उनके जाति प्रमाण पत्र को ग़लत क़रार दिया जो ग़लत है। साथ ही अपनी याचिका ने उन्होंने यह भी कहा है कि जिस व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र जांच प्रतिवेदन के आधार पर हुआ है, उसकी जाति प्रणाम पत्र की जांच स्क्रूटनी कामिटी नहीं कर सकती।
उल्लेखनीय है कि राज्य में कल्याण सचिव की अध्यक्षता में गठित जाति छानबीन समिति ने सुरेश बैठा की शिकायत की जांच के बाद समरी लाल को 31 अक्तूबर, 2009 को राज्य सरकार द्वारा निर्गत अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का आदेश दिया है। जांच में समिति ने पाया कि समरी लाल झारखंड के स्थायी निवासी या रैयत नहीं हैं। समरी लाल अपने पिता के राजस्थान से माइग्रेट कर झारखंड आने के आरोप को भी गलत साबित नहीं कर सके।
समरी के पूर्वज राजस्थान के स्थायी निवासी थे
समिति ने कहा है कि समरी लाल के पूर्वज मूलत: राजस्थान के स्थायी निवासी थे। रोजगार की तलाश में वह झारखंड आये थे। समरी लाल को झारखंड का एससी प्रमाण पत्र निर्गत करते समय गहन जांच करनी चाहिए थी। समरी के पिता झारखंड के स्थायी निवासी नहीं थे। ऐसी स्थिति में उनके पिता मिश्री लाल बाल्मिकी के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर माइग्रेटेड श्रेणी के एससी व्यक्ति के लिए तय प्रपत्र में जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने के बदले सामान्य प्रपत्र में स्थानीय जांच पर प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, जो पूरी तरह से अनुसूचित है।
समिति द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि प्रवासी अनुसूचित जाति या जनजाति की श्रेणी के लोगों को जाति प्रमाण पत्र राज्य के सक्षम पदाधिकारी द्वारा उनके पिता को जारी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर निर्गत हो सकता है। उस प्रमाण पत्र में उनके मूल राज्य का नाम भी अंकित होता है। अन्य राज्य के ऐसे व्यक्ति को झारखंड में आरक्षण की सुविधा अनुमान्य नहीं है।
इसी सर्टिफिकेट से सात बार चुनाव लड़े
पूरे मामले में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए समरी लाल ने कहा कि मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। हाई कोर्ट को तय करना है। कांग्रेस के इशारे पर साजिश हो रही है। इसी सर्टिफिकेट से सात बार चुनाव लड़े, इस बार चुनाव जीते हैं। तीन बार राजद से लड़े, दो बार झामुमो से लड़े, एक बार कांग्रेस ने समर्थन भी किया, अब आज साजिश हो रही है। कांग्रेस के लोग नहीं चाहते हैं कि भंगी का बेटा विधायक बने। न्यायालय पर मुझे पूरा भरोसा है।
विधायकी को लेकर कोर्ट करेगा फैसला
कांके विधायक समरी लाल के खिलाफ हाई कोर्ट में इलेक्शन पिटीशन चल रहा है। जाति छानबीन समिति द्वारा उनके जाति प्रमाण पत्र रद्द करने के बाद विधायकी रहने या जाने के संबंध में न्यायालय ही फैसला करेगा। पिटीशन की सुनवाई के दौरान समिति का आदेश न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा। आदेश की व्याख्या के बाद न्यायालय मामले में फैसला सुनायेगा।