हाथरस गैंगरेप पीड़िता के पिता और भाई सफदरजंग अस्पताल में धरने पर बैठे गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि हमारी अनुमति के बिना शव को अस्पताल से ले जाया गया. हमें कोई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं मिली. हमने किसी कागजात पर हस्ताक्षर नहीं किए. परिवार का कहना है कि हमारी अनुमति के बिना अस्पताल शव को कैसे ले जा सकता है.
पीड़िता के भाई ने कहा कि पिता ने एंबुलेंस ड्राइवर से बात की है. एंबुलेंस यमुना एक्सप्रेस वे को पार कर चुकी है. पिता ने ड्राइवर से वापस आने और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिखाने को कहा है. अगर ये सब नहीं होता है तो हाथरस में शव को कोई भी स्वीकार नहीं करेगा.
वहीं, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद ने सफदरजंग हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि सोमवार रात को डॉक्टरों ने वेंटिलेटर का प्लग निकाल दिया था, क्योंकि सरकार चाहती थी कि पीड़िता की मौत हो जाए, क्योंकि वो एक दलित समुदाय की थी. चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता के साथ यहां पर कोई भी पुलिसवाला नहीं था.
बता दें कि चंद्रशेखर आजाद आज पीड़िता के परिजनों से मिलने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल गए थे. उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. बता दें कि मंगलवार सुबह ही हाथरस घटना की पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया. जिसके बाद से ही इस घटना पर राजनीतिक बवाल हो गया है.
हाथरस में भी लोगों का गुस्सा
पीड़िता की मौत के बाद गुस्साए लोगों ने हाथरस के चंदपा थाने के पास सड़क जाम कर दिया है. उन्हें समझाने के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पहुंच गए हैं.
परिवार ने कहा- एडीजी झूठ बोल रहे हैं
पीड़िता के परिवार ने एडीजी प्रशांत कुमार के बयान पर प्रतिक्रिया दी है. परिवार का कहना है कि एडीजी झूठ बोल रहे हैं. पीड़िता ने 22 सितंबर को अपना पहला बयान दिया था और गैंगरेप की बात कही थी. इससे पहले किसी को नहीं पता था कि उनके साथ गैंगरेप किया गया था, क्योंकि वो बेहोश थीं.
एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि यह घटना 14 सितंबर को सुबह 9.30 हुई. उसके बाद लड़की अपने भाई के साथ थाने पर पहुंची और गला दबाकर हत्या करने की कोशिश का मामला दर्ज कराया गया. इसके बाद लड़की को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. मामला SC/ST एक्ट का था, इसलिए क्षेत्राधिकारी स्तर के अधिकारी को जांच दी गई.