नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद को दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बताया और कहा कि इस वैश्विक समस्या का समर्थन और उसे बढ़ावा देने वाले देशों को भी कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र समेत तमाम दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधार की जरूरत पर जोर दिया। पीएम ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए ब्रिक्स देशों से समर्थन की उम्मीद जताई।
मोदी ने भारत, ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका के बहुपक्षीय संगठन ब्रिक्स को मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि आतंकवाद आज विश्व के सामने सबसे बड़ी समस्या है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवादियों को समर्थन और सहायता देने वाले देशों को भी दोषी ठहराया जाए और इस समस्या का संगठित तरीके से मुकाबला किया जाना चाहिए। मोदी ने ब्रिक्स की मौजूदा रूस की अध्यक्षता में आतंकवाद विरोधी रणनीति को अंतिम रूप दिए जाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष ब्रिक्स के अध्यक्ष के रूप में भारत आतंकवाद विरोधी रणनीति को अधिक कारगर बनाएगा।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो शामिल हुए। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच जारी सैन्य तनाव के दौरान यह दूसरा मौका है जब मोदी और शी ने एक साथ अपनी भागीदारी वाले संगठनों की बैठकों में भाग लिया है। इसके पहले दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी भाग ले चुके हैं।
कोरोना महामारी और उसके कारण विश्व अर्थव्यवस्था पर आए संकट के संदर्भ में मोदी ने कहा कि आज बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की विश्वसनीयता और प्रभावी क्षमता पर सवालिया निशान लगा हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा परिषद् ही नहीं बल्कि विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया की मौजूदा वास्तविकता को प्रगट नहीं करते। यह अंतरराष्ट्रीय संस्थायें 75 वर्ष पहले की परिस्थितियों पर आधारित हैं और समयानुसार बदलाव न होने के कारण इनका प्रभाव कम हुआ है। मोदी ने ब्रिक्स देशों का आह्वान किया कि वह अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में आवश्यक बदलाव के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करें।
मोदी ने कोरोना वायरस महामारी से उभरते हुए विश्व अर्थव्यवस्था को फिर से गति देने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों में दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी रहती है तथा विश्व अर्थव्यवस्था इन देशों की प्रमुख भूमिका है। ब्रिक्स देश विश्व अर्थव्यवस्था को गति देने वाले ईंजन है तथा उन्हें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आपसी सहयोग को अधिक मजबूत बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2021 में ब्रिक्स के 15 वर्ष पूरे हो जाएंगे। पिछले सालों में हमारे बीच लिए गए विभिन्न निर्णयों का मूल्यांकन करने के लिए एक रिपोर्ट बनाई जा सकती है। 2021 में अपनी अध्यक्षता के दौरान हम ब्रिक्स के तीनों स्तंभों में अंतर-ब्रिक्स सहयोग को मजबूत करने का प्रयत्न करेंगे।
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को जन्मदिन की बधाई दी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन की बैठक के संचालन को लेकर प्रशंसा की।