-मुख्य नदियों को नहरों की तरह किया जाए पक्का
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुरुवार को केंद्र सरकार से पंजाब के सिंध जल प्रणाली की तीन पूर्वी नदियों को नहरों की तर्ज पर पक्के करने (कैनलाईजेशन) के प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के अंतर्गत लाने के लिए अपील की है जिससे जल स्रोतों की व्यवस्थित करने के साथ क्षेत्रीय आर्थिक विकास को मजबूत किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई बैठक के दौरान इस संबंध में प्रस्ताव सौंपा। इसमें मुख्यमंत्री ने 985 किलोमीटर लंबे नदी किनारों पर तीव्र गति से आर्थिक कॉरीडोर के निर्माण संबंधी सुझाव दिया और इसके अलावा सतलुज, रावी और ब्यास के किनारों की अंदरूनी ढलानों की लाइनिंग, बाढ़ की रोकथाम के प्रबंधों और नदी प्रशिक्षण कामों के संबंध में भी विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे राज्य को अपनी जल शक्ति बढ़ाकर फसलीय विविधता, मानक शहरीकरण और कलोनियों का रचनात्मक ढांचा और राज्य के निवासियों के आर्थिक उत्थान को गति देने के मौके पैदा करने में बड़ी सहायता मिलेगी।
प्रधानमंत्री के जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना, जल और जीवन मिशन और ‘नल से जल‘ स्कीमों से मुल्क के हर घर को पीने वाला साफ सुथरा पानी मुहैया करवाने के किये जा रहे यत्नों को पंजाब के मुख्यमंत्री ने रचनात्मक बताया। साथ ही कैप्टन ने कहा कि पंजाब सरकार भी अपने ‘हर घर पानी-हर घर सफ़ाई‘ मिशन के अंतर्गत राज्य के निवासियों को साफ -सुथरा पीने योग्य पानी मुहैया करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत की विभाजन के समय राज्य के जल स्रोतों में हुई कटौती और 1966 में राज्य के पुनर्गठन के समय पैदा हुए विपरीत हालातों के सम्बन्ध में अपने सरोकार साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज, रावी और ब्यास नदियों के जरिये राज्य के कृषि अधीन क्षेत्र का केवल 27 फीसदी सींचे जाने के कारण पंजाब के भूजल के बेतहाशा प्रयोग स्वरूप पानी का स्तर काफी नीचे जा चुका है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप राज्य के सात जिले के निकट भविष्य में मरुस्थल का रूप धारण कर सकते हैं जो इन क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति को गहरी चोट पहुंचाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भरोसा दिया कि इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श समेत हर स्तर पर सहयोग के लिए दिया जायेगा। मॉनसून के दौरान पाकिस्तान की तरफ जाते पानी को रोके जाने की जरूरत पर भी जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य की तीन नदियों के किनारे कच्चे हैं जिनकी लंबाई 945. 24 किलोमीटर ( सतलुज 484. 12 किलोमीटर, रावी 245. 28 किलोमीटर और ब्यास 215. 84 किलोमीटर) बनती है और यह राज्य के कुल क्षेत्र का करीब 60 फीसदी बनता है। उन्होंने कहा कि राज्य की कुल आबादी के 1/ 3 फीसदी हिस्से को मॉनसून के दौरान बाढ़ की मार झेलनी पड़ी।