नई दिल्ली। भारत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर पाकिस्तानी संसद की आलोचना को खारिज करते हुए मंगलवार को कहा कि जो देश अपने यहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और ज्यादती कर रहा है वह दूसरे पर झूठा दोषारोपण करने पर उतारू है।
पाकिस्तान की संसद में सोमवार को जम्मू-कश्मीर और नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में पारित प्रस्ताव पर विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि पाकिस्तानी संसद में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाले कानून बनाये गए हैं और यह हास्यास्पद है कि वह दूसरे पर उंगली उठा रहे हैं।
विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है तथा यहां संविधान के अंतर्गत बिना धार्मिक भेदभाव के सभी को समान अधिकार हासिल हैं। पड़ोसी देश को इसका अनुसरण करना चाहिए।
भारत ने कहा कि पड़ोसी देश अपनी इन हरकतों से अपने यहां धार्मिक अल्पसंख्यकों पर किये जाने वाले अत्याचार पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान में हिन्दू, ईसाई, सिख और अन्य धर्मों के लोगों की संख्या में लगातार कमी आ रही है जो हकीकत को अपने आप बयान करती है।
वक्तव्य में कहा गया कि भारत नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में पाकिस्तान गलत तस्वीर पेश कर रहा है। यह कानून किसी भी धर्म को मानने वाले किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं छीनता बल्कि कुछ देशों में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार बनने वाले लोगों को नागरिकता प्रदान करता है।
वक्तव्य के अनुसार देश के आतंरिक मामले में हस्तक्षेप करने वाले पाकिस्तानी संसद के इस प्रस्ताव को भारत खारिज करता है। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बारे में भी झूठा प्रलाप किया है। वह भारत में आतंकवादी वारदातों के लिए सीमा पार आतंकवाद को दिए जा रहे समर्थन को जायज ठहराने की कोशिश कर रहा है। इसमें वह पूरी तरह असफल होगा।