नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी किया है। एडिशनल सेशंस जज सतीश अरोड़ा ने एक फरवरी की सुबह छह बजे चारो दोषियों को फांसी देने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान पब्लिक प्रोसिक्युटर इरफान अहमद ने तिहाड़ जेल की ओर से पटियाला हाउस कोर्ट से नया डेथ वारंट जारी करने की मांग की। उन्होंने कोर्ट को सूचित किया कि राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज कर दिया है।
मुकेश की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि हमें अभी तक इस बात की जानकारी नहीं है कि दया याचिका खारिज हो गई है। उसके बाद कोर्ट ने 4.30 बजे तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दिया और जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वो ये कंफर्म करें कि क्या दोषियों को दया याचिका खारिज होने की सूचना दी गई है। वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जेल प्रशासन ने मुकेश को उसके वकील से नहीं मिलने दिया। तब कोर्ट ने पब्लिक प्रोसिक्युटर को निर्देश दिया कि वो ये सुनिश्चित करें कि दोषियों को उनके वकील से मिलने दिया जाए।
साढ़े चार बजे जब कोर्ट ने दोबारा सुनवाई शुरु की तो पब्लिक प्रोसिक्युटर ने बताया कि तिहाड़ जेल ने मुकेश को आधिकारिक रूप से दया याचिका खारिज करने के बारे में सूचना दी है। तब कोर्ट ने कहा कि सभी चार दोषियों को दया याचिका दायर करने का मौका दिया गया। एक ने दया याचिका दायर किया, बाकी ने नहीं किया। यह कब तक चलेगा। यह फांसी को लंबा खींचने का प्रयास है। उसके बाद कोर्ट ने एक फरवरी को चारो दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए नया डेथ वारंट जारी किया।
पिछले 16 जनवरी को ही सुनवाई के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि 22 जनवरी को फांसी नहीं हो सकती है। मुकेश की तरफ से वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा था कि केवल मुकेश की तरफ से अर्जी दाखिल की गई है। वृंदा ग्रोवर ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को दो बजे क्ययुरेटिव याचिका को खारिज किया और 3 बजे हमने दया याचिका दाखिल कर दी थी। उन्होंने कहा था सात जनवरी का कोर्ट का आदेश गलत नहीं था लेकिन उसके बीच जो परिस्थितियों में बदलाव आया है उसके आधार पर डेथ वारंट पर रोक की मांग की गई है।
निर्भया के माता-पिता के वकील ने मुकेश की याचिका का विरोध किया था। वृंदा ग्रोवर ने कहा कि शत्रुघ्न चौहान फैसले के मुताबिक मुकेश दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन पाने का हकदार है। वृंदा ग्रोवर ने कहा था कि जेल मैनुअल के हिसाब से 22 जनवरी को फांसी नही दिया जा सकता। इसको जेल प्रशासन पर नही छोड़ा जा सकता क्योंकि अगर 21 जनवरी को राष्ट्रपति दया याचिका को ठुकराते हैं तो 22 जनवरी को जेल प्रशासन फांसी दे देगा। उन्होंने कहा कि देश में किसी ऑथोरिटी को जीवन लेने का अधिकार नही है केवल “रूल ऑफ लॉ” को है।
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा था कि नियमों के मुताबिक फिलहाल 22 जनवरी को फांसी नहीं हो सकती है। पहले राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर फैसला आना चाहिए, इसके बाद 14 दिन का वक्त दिया जाना चाहिए।
पिछले 15 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से 22 जनवरी को फांसी देने के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता मुकेश को निर्देश दिया कि वो ट्रायल कोर्ट जाकर बताएं कि उनकी दया याचिका अभी लंबित है।
पिछले 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट जारी करते हुए 22 जनवरी को फांसी देने का आदेश दिया था। उसके बाद दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में क्युरेटिव पिटीशन दाखिल किया था। पिछले 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की क्युरेटिव पिटीशन खारिज कर दिया था। उसके बाद मुकेश ने हाईकोर्ट में डेथ वारंट को रोकने के लिए याचिका दायर किया था।