RANCHI. मदर्स डे के 4 दिनों पहले एक मासूम बेटे की तड़प और बेबसी सामने आई है। वह अपनी मां का इलाज अपनी किडनी बेचकर करवाना चाहता है, क्योंकि उसके पास उतने पैसे नहीं है। हालांकि इस वाकये को जिसने देखा- सुंना, वह उसकी मां के आंचल की छांव बनने को तड़प उठा। क्योंकि जब वह मां के इलाज को पैसे नहीं जुटा पाया तो अस्पताल-अस्पताल घूमकर अपनी किडनी बेचने के लिए ग्राहक ढूंढने लगा।
गरीबी और मजबूरी की चरम सीमा तो देखिए ,एक बच्चा आज
— Dr Vikas Kumar (@drvknarayan) May 10, 2023
अपने मां के इलाज के लिए किडनी बेचने गया था,घर में मां और
बहन है,पिता की मृत्यु हो चुकी है,वह किसी होटल में काम करता है,
एक सज्जन व्यक्ति ने उसे हमारे बारे में बताया तथा हमारी टीम ने
उसे समझाया की किडनी बेचना एक दंडनीय… pic.twitter.com/d2kUmbJjfl
गया का दीपांशु मदर्स डे के बारे में नहीं जानता, पर उसकी धड़कनें सिर्फ मां के लिए धड़क रही हैं। काफी जद्दोजहद के बाद भी जब मां के इलाज के लिए पैसे नहीं जुटे तो वह अपनी किडनी बेचने रांची के एक निजी अस्पताल में पहुंच गया। यहां उसकी धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों से मुलाकात हो गई। उन्होंने मां को स्वस्थ कर देने का भरोसा दिलाकर उन्हें रांची लाने को कहा। रिम्स के न्यूरो सर्जरी के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर विकास और उनके सहयोगियों ने दीपांशु को मां का रिम्स में इलाज कराने और इसका सारा खर्च उठाने का आश्वासन दिया।
दीपांशु ने बताया कि मां का पैर टूट गया है और इलाज कराने के पैसे नहीं हैं। दीपांशु निजी अस्पताल में पहुंच लोगों से पता करता रहा कि किसे किडनी की जरूरत है। कितने में बिकेगी। जानकारी मिली तो अस्पताल कर्मियों ने रिम्स के डाक्टरों को बताया। तत्काल डॉ विकास और उनके साथी पहुंचे। उसे समझाया कि किडनी बेचना गैरकानूनी है। दीपांशु ने बताया कि इलाज के लिए पैसे की जरूरत है, इसलिए बेचनी है। दीपांशु ने बताया कि उसके पिता बचपन में गुजर गए। मां ने मजदूरी कर पाला। जब दीपांशु को मां की तकलीफ देखी नहीं गई तो वह रांची में एक होटल में काम करने लगा। इसी दौरान मां के पैर टूटने की सूचना मिली। पैसे उतने भी नहीं मिलते कि इलाज करा सके। इलाज रुक गया था। तब उसने किडनी बेचकर पैसे जुटाने की सोची।