नई दिल्ली। भारत ने मादक पदार्थों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी है। देश में नारकोटिक्स कंट्रोल के प्रति सख्ती के लिए कई कदम उठाए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यूएन और इंटरपोल के साथ मिलकर मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए लगातार भारत प्रयासरत है। इस दिशा में पिछले पांच वर्षों में भारत ने बांग्लादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया, सिंगापुर, म्यांमार और रूस के साथ नियमित द्विपक्षीय वार्ताएं की हैं। यह बातें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा गुरुवार को बिम्सटेक देशों के लिए नारकोटिक्स ड्रग्स जैसे संवेदनशील विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में कही।
‘कॉम्बेटिंग ड्रग टैफिकिंग’ विषय पर आयोजित बिम्सटेक सम्मेलन में गुरुवार को यहां अमित शाह ने कहा कि बिम्सटेक कॉन्फ्रेंस के साथ नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने की दिशा में यह एक नया कदम है। उन्होंने कहा, ‘मैं आज आप सबको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम दुनिया के किसी भी छोर से भारत में मादक पदार्थों को नहीं आने देंगे। पूरी दुनिया में मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए हम कृत संकल्पित हैं।‘
गृहमंत्री ने बताया कि नशे के खिलाफ भारत की मुहीम का नतीजा है कि बीते पांच वर्षों में भारत में 01 लाख 89 हजार से अधिक मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 02 लाख 31 हजार 481 ड्रग तस्करों को गिरफ्तार किया गया। ड्रग तस्करी के मामले में गिरफ्तार आरोपितों में 1,503 विदेशी नागरिक हैं।
उल्लेखनीय है कि बिम्सटेक सम्मेलन का आयोजन नशीले पदार्थों की तस्करी के बढ़ते खतरों पर चर्चा के लिए किया गया है। एशिया में मादक पदार्थों की तस्करी लगातार बढ़ रही है और बिम्सटेक इस वैश्विक खतरे से निपटने का एक उपयुक्त मंच है। बिम्सटेक बंगाल की खाड़ी से जुड़े सात देशों का क्षेत्रीय संगठन है। इसके सदस्यों में भारत के अलावा बंगलादेश, भूटान, म्यामां, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं।