– महिलाओं से जुड़े मामलों में लापरवाही बरतने पर थानेदार पर होगी कार्यवाही: डीजीपी
रांची। झारखंड पुलिस ने महिलाओं से यौन अपराध से जुड़े मामलों में नया आदेश जारी किया है। झारखंड पुलिस मुख्यालय के नए आदेश के अनुसार कोई भी महिला राज्य के किसी थाने में संपर्क कर शिकायत दर्ज करा सकती है। किसी भी परिस्थिति में पुलिस को महिला की एफआईआर दर्ज करनी होगी। यदि घटना थाना के कार्य क्षेत्र से बाहर की होगी, तब भी जीरो एफआईआर दर्ज करके प्रारंभिक जांच शुरू करनी होगी। इसके बाद जीरो एफआईआर को घटनास्थल से सम्बंधित थाना को भेजकर महिला को एफआईआर की कॉपी भी देनी होगी। थानेदार अगर महिलाओं से जुड़े मामलों को बगैर कर्रवाई सीधे महिला थाना भेजेंगे तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही आदेश को नहीं मानने पर पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ धारा 166 के तहत कार्रवाई की जायेगी।
झारखंड के डीजीपी कमल नयन चौबे ने जारी अपने आदेश में कहा है कि थाना में पदस्थापित पदाधिकारियों द्वारा यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं का कांड दर्ज नहीं कर पीड़ित महिला को महिला थाना जाने को कह दिया जाता है अगर अब ऐसा हुआ तो थानेदारों पर कार्रवाई होगी। एसपी स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि 166ए के तहत चिन्हित पदाधिकारी पर कार्रवाई करें, ताकि उन्हें छह माह से 2 साल की सजा और जुर्माना लगाया जा सके। डीजीपी के आदेश में सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को निर्देश दिया गया है कि यौन अपराध से पीड़ित महिला राज्य के किसी भी थाने से संपर्क करती है तो किसी भी परिस्थिति में उनका एफआईआर दर्ज करने से इनकार नहीं किया जाना चाहिए। यदि मामला थाना क्षेत्र से बाहर का है तब भी जीरो एफआईआर दर्ज कर प्रारंभिक अनुसंधान करें। इसके बाद संबंधित थाने में एफआईआर की कॉपी भेजें।
डीजीपी के आदेश में कहा गया है कि यौन अपराध से जुड़े मामलों में केस दर्ज होने के दो महीने के भीतर पुलिस को अपने केस का अनुसंधान पूरा करना होगा। इसके साथ ही पीड़िता को मुआवजा देने में भी पुलिस पदाधिकारी को मदद करनी होगी। केस के अनुसंधानकर्ता को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह लोक अभियोजक के माध्यम से अनुरोध कराएं कि यौन अपराध से जुड़े मामलों के विचारण में न्यायाधीश महिला हो और थाना के स्तर पर महिला का बयान दर्ज करने के लिए भी महिला पदाधिकारी की अनिवार्यता तय की गई है। साथ ही पीड़ित महिला को चिकित्सा सुविधा भी निशुल्क उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है। चाहे वह निजी अस्पताल हो या सरकारी अस्पताल सभी तरह के अस्पतालों में पीड़िता का इलाज कराने में पुलिस को सहयोग करना होगा। इसके लिए पुलिस पदाधिकारी जिले के सिविल सर्जन से संपर्क कर इसका अनुपालन करायेंगे।