नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें काफी समय से ऊंची बनी हुई हैं. साथ ही पेट्रोल की मांग भी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में सरकारी रिफाइनरी कंपनियां अपना क्रूड ऑयल का इंपोर्ट बढ़ा रही हैं, और इसका प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए अपने ‘प्रोडक्शन स्टाइल’ में भी बदलाव ला रही हैं.
बढ़ा अमेरिका-अफ्रीका से इंपोर्ट
भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा इंपोर्टर है. अपनी जरूरत पूरी करने के लिए भारत अभी मुख्य तौर पर खाड़ी देशों पर निर्भर है. लेकिन हाल में देश के क्रूड ऑयल इंपोर्ट मिक्स में पश्चिमी अफ्रीका और अमेरिका की हिस्सेदारी बढ़ी है.
ये लाइट ग्रेड का कच्चा तेल है जिससे रिफाइनरी कंपनियों को ज्यादा पेट्रोल प्रोडक्शन करने में मदद मिलती है. जबकि खाड़ी देशों से आने वाले कच्चे तेल में डीजल और केरोसिन जैसे अन्य भारी ग्रेड का ईंधन ज्यादा मात्रा में निकलता है.
कंपनियां शिफ्ट हो रही पेट्रोल उत्पादन पर
पहले भारत सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम तय करती थी. वहीं उद्योग और ट्रक कंपनियों के लिए डीजल किफायती ईंधन था. इसलिए तब देश की रिफाइनरी कच्चे तेल से डीजल का उत्पादन ज्यादा करती थीं. लेकिन अब पेट्रोल की मांग बढ़ रही है. इस बारे में Energu Aspects में हेड ऑफ रिसर्च अमृता सेन का कहना है कि रिफाइनरी कंपनियां अब डीजल की बजाय कच्चे तेल से पेट्रोल के उत्पादन पर ज्यादा जोर दे रही हैं. ऐसे में पश्चिमी अफ्रीका से पेट्रोल की ज्यादा मात्रा वाले कच्चे तेल का आयात बढ़ सकता है.
14% बढ़ेगी पेट्रोल की डिमांड
रॉयटर्स ने अपनी खबर में ICRA Ratings के आंकड़ों के हवाले से कहा है कि मार्च 2022 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में भारत में पेट्रोल का उपभोग 14% बढ़ने की उम्मीद है. जबकि डीजल का उपभोग चौथी तिमाही में या अगले साल कोरोना-पूर्व के स्तर तक आ सकता है.
पेट्रोल की मांग बढ़ने की एक और वजह डीजल एवं इसकी कीमतों का अंतर घटना और लोगों का डीजल से चलने वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जगह निजी गाड़ियों का रुख करना है. वहीं देश में डीजल का सबसे बड़ा खरीदार भारतीय रेल भी इसकी खपत को लगातार कम रहा है, क्योंकि उसका पूरा जोर इलेक्ट्रिफिकेशन पर है.
इस बारे में Hindustan Petroleum के चेयरमैन M.K. Surana का कहना है कि निजी गाड़ियों की खरीद के दौरान ग्राहकों की पसंद में बदलाव आ रहा है. पेट्रोल गाड़ियों को ज्यादा पसंद किया जा रहा है. इसके अलावा बिजली की बेहतर सप्लाई से डीजल जेनरेटरों का उपयोग कम हुआ है.’
ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि अगर कंपनियों का पेट्रोल का उत्पादन बढ़ता है, तो आने वाले समय में शायद इसकी कीमतें कुछ नीचे आ जाएं. अभी देश के अधिकतर शहरों में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 100 रुपये से अधिक है.