News Samvad : आजकल पानी की शुद्धता और TDS (टोटल डिजॉल्वड सॉलिड्स) का महत्व बढ़ता जा रहा है। TDS पानी में घुले ठोस पदार्थों की मात्रा को दर्शाता है, जो पानी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। WHO के अनुसार, 1 लीटर पानी में 300 मिलीग्राम से कम TDS होना चाहिए। अधिक या कम TDS से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे किडनी स्टोन और मिनरल्स की कमी। इसलिए, पानी की शुद्धता की जांच और सही TDS स्तर बनाए रखना आवश्यक है।
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TDS क्या है?
TDS पानी में घुले ठोस पदार्थों की मात्रा को दर्शाता है, जो आंखों से दिखाई नहीं देते हैं। ये पदार्थ पानी के स्रोतों से मिलते हैं, जैसे कि पत्थरों और पाइपों से।
TDS की जांच का महत्व
TDS की जांच पानी की गुणवत्ता, स्वास्थ्य और स्वाद को प्रभावित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 1 लीटर पानी में 300 मिलीग्राम से कम TDS होना चाहिए। वहीं, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, 1 लीटर पानी में TDS की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
- कम TDS: पानी में आवश्यक मिनरल्स की कमी हो सकती है, जिससे पानी बेस्वाद हो जाता है और लंबे समय तक पीने से शरीर में मिनरल्स की कमी हो सकती है।
- अधिक TDS: पानी अशुद्ध हो सकता है, जिससे किडनी स्टोन और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
RO सिस्टम का उपयोग
RO सिस्टम उन स्थानों पर लगवाना चाहिए जहां पानी में TDS, केमिकल्स और बैक्टीरिया की मात्रा अधिक हो। यदि पानी का TDS 50 से 200 PPM के बीच है, तो RO की आवश्यकता नहीं है।
घर पर TDS की जांच
घर पर पानी की शुद्धता की जांच करने के लिए TDS मीटर का उपयोग किया जा सकता है। यह उपकरण पानी में TDS की मात्रा को मापता है और इसकी कीमत 250 से 500 रुपए के बीच होती है।
निष्कर्ष
पानी की शुद्धता और सही TDS स्तर बनाए रखना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए नियमित जांच और RO सिस्टम का सही उपयोग आवश्यक है ताकि आप और आपका परिवार स्वस्थ रह सके।
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