नई दिल्ली। साल के अंत में धरती की ओर सुदूर अंतरिक्ष से एक आफत आ रही है. ये आफत इससे पहले साल 2018 में धरती के बेहद करीब से गुजरी थी. NASA के एस्टेरॉयड ट्रैकर ने गणना की है कि एस्टेरॉयड 2018 एएच (Asteroid 2018 AH) की लंबाई कुतुबमीनार से ढाई गुना ज्यादा है. अगर ये जमीन पर कहीं गिरता है तो एटम बम से ज्यादा बड़ी तबाही मचा सकता है. आइए समझते हैं कि नासा के वैज्ञानिकों ने इसके बारे में किस तरह की जानकारियां दी हैं.
धरती की ओर आ रहा यह एस्टेरॉयड 2018 एएच (Asteroid 2018 AH) 190 मीटर लंबा यानी 623 फीट लंबा है. यानी कुतुबमीनार से ढाई गुना से ज्यादा लंबा. कुतुबमीनार 239 फीट का है. NASA एस्टेरॉयड ट्रैकर के अनुसार यह एस्टेरॉयड 27 दिसंबर 2021 को धरती के बगल से गुजरेगा. वैसे तो इसके धरती से टकराने की आशंका नहीं है लेकिन अगर यह टकराता है तो हिरोशिमा-नागासाकी पर गिरे परमाणु बम से ज्यादा तबाही मचाएगा.
एस्टेरॉयड 2018 एएच (Asteroid 2018 AH) धरती से करीब 45 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा. साल 2018 में यह धरती से 2.96 लाख किलोमीटर दूर से निकला था. इस बार ये काफी दूर है. लेकिन अंतरिक्ष में इतनी दूरी ज्यादा नहीं होती, क्योंकि अगर दिशा में एक डिग्री का भी अंतर आता है तो खतरा बढ़ सकता है. धरती से चांद की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर है, यानी इस एस्टेरॉयड की दूरी का 12वां हिस्सा.
साल 2018 में इसे वैज्ञानिकों ने तब खोजा था, जब यह धरती के बेहद नजदीक से गुजर गया था. इसके आने की उस समय सूचना इसलिए नहीं मिल पाई थी क्योंकि इसमें किसी तरह की रोशनी नहीं है. यह बेहद गहरे रंग का है. रात में गुजरने की वजह से इसके आने-जाने का पता नहीं चला था. साल 2018 के बाद से अब तक इतने बड़े आकार का कोई एस्टेरॉयड धरती के बगल से नहीं गुजरा है.
साल 2028 में एक किलोमीटर लंबा एस्टेरॉयड 153814 (2001 WN5) धरती के बगल से गुजरेगा, लेकिन उससे किसी तरह का कोई खतरा नहीं है. यह करीब 2.49 लाख किलोमीटर की दूरी से निकल जाएगा. लेकिन कभी आपने सोचा है कि कुतुबमीनार के आकार से ढाई गुना ज्यादा बड़ा एस्टेरॉयड 2018 एएच (Asteroid 2018 AH) अगर धरती से टकराए तो क्या होगा?
धरती पर आखिरी बार जो एस्टेरॉयड गिरा था, उसने रूस में काफी तबाही मचाई थी. ये बात है साल 2013 की. यह एस्टेरॉयड 17 मीटर का था. वह रूस के ऊपर आकर वायुमंडल में फट गया था. जिससे एक शहर की सारी इमारतों की खिड़कियां टूट गई थीं. कई लोग घायल हुए थे. इसके पहले जिस एस्टेरॉयड ने रूस में साल 1908 में तबाही मचाई थी. वह पोद्कामेनया तुंगसुका नदी में गिरा था. जहां एक बड़ा गड्ढा बन गया. इसे तुंगसुका इवेंट (Tungsuka Event) कहते हैं. माना जाता है कि तुंगसुका इवेंट वाला एस्टेरॉयड 27 दिसंबर 2021 को धरती की ओर आ रहे एस्टेरॉयड 2018 एएच (Asteroid 2018 AH) के बराबर आकार का था.
एस्टेरॉयड 2018 एएच (Asteroid 2018 AH) अगर किसी इलाके के ऊपर हवा में फटता है तो उससे 12 मेगाटन की ताकत का विस्फोट होगा. इससे हजारों किलोमीटर तक तबाही होगी. यह हिरोशिमा-नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम से 800 गुना ज्यादा ताकतवर है. हिरोशिमा पर गिरे बम की ताकत 15 किलोटन थी. जबकि, नागासाकी पर गिरे एटम बम की ताकत 20 किलोटन थी.
हिरोशिमा में गिरे बम से 1.35 लाख लोग मारे गए थे. यानी उसकी आबादी का आधे से ज्यादा हिस्सा. तुंगसुका इवेंट (Tungsuka Event) में तीन लोगों के मारे जाने की खबर थी क्योंकि उस इलाके में ज्यादा लोग रहते नहीं थे. लेकिन उसकी तबाही के सबूत आज भी दिखते हैं. तुंगसुका इवेंट में 8 करोड़ पेड़-पौधे पूरी तरह से साफ हो गए थे. हजारों किलोमीटर दूर तक आवाज सुनाई दी थी. रूस में हुई इस घटना से आए भूकंप की लहर को वॉशिंगटन और इंडोनेशिया तक महसूस किया गया था.
वैज्ञानिकों की माने तो तुंगसुका इवेंट (Tungsuka Event) के समय आसमान दो रंगों में बदल गया था. उत्तरी गोलार्ध का आसमान आग के शोलों जैसा चमक रहा था. आग की लपटों ने 8 करोड़ पेड़-पौधों को खत्म कर दिया था. वह भी कुछ मिनटों में. ऐसा लग रहा था कि आसमान से धरती की ओर कोई तोप के गोले दाग रहा है. तुंगसुका इवेंट (Tungsuka Event) आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी आसमानी आफत वाली घटना मानी जाती है.
नासा के मुताबिक अगर कोई एस्टेरॉयड 140 मीटर से ज्यादा व्यास या लंबाई का होता है तो वह तुंगसुका इवेंट (Tungsuka Event) जितनी तबाही मचाने की हैसियत रखता है. एस्टेरॉयड 2018 एएच (Asteroid 2018 AH) तो 190 मीटर लंबा है. यानी और ज्यादा तबाही. अगर यह किसी समुद्र में जाकर गिरता है तो भयावह सुनामी और भूकंप आने की आशंका रहती है. जिससे आसपास के देशों को बड़ी दिक्कत हो सकती है.