Saharsha : हरिदर्शन सेवा संस्थान फाउंडेशन ट्रस्ट संस्थापक डा. नवनीत ने कहा कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए तय खास दिन आश्विन कृष्णपक्ष जिसे हम पितृपक्ष के नाम से जानते हैं। वह शनिवार से शुरू हो रहा है। पितृ पक्ष का समय पितरों के लिए समर्पित होता है। इन 16 दिनों में श्राद्ध, पिंडदान एवं तर्पण का विधान है। इस वर्ष 30 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान एवं तर्पण से पितृ प्रसन्न होते हैं एवं जीवन के परेशानियों को दूर करते हैं।
इसका समापन अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होता है। लोक मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर अपने परिवारजनों से मिलने धरती लोक पर आते हैं। डा. नवनीत ने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 16 दिन के इस तिथि में श्राद्ध एवं पिंडदान से मृत व्यक्ति के आत्मा को शांति मिलती है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जिस तिथि को जिस पूर्वज की मृत्यु हुई हो। पितृपक्ष के उसी तिथि में उनका पिंडदान एवं श्राद्ध करना चाहिए।ऐसा करने से मृतक आत्मा को शांति मिलती है एवं पितरों की कृपा परिवार पर भी सदैव बनी रहती है । अगर जिन लोगों को अपने पितरों के मृत की तिथि नहीं पता हो तो अमावस्या तिथि पर श्राद्ध व पिंडदान करना चाहिए। पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या 14 अक्टूबर है एवं इस दिन पितृपक्ष समाप्त होगा।
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