भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोविड के कठिन काल में वन विभाग ने जनता को मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूँ। आप लोगों के कारण ही आज जंगल हैं। आप सब पर गर्व है। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट की नौकरी का मतलब है आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित धरती बचा कर देना। यह बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। हमें वन बचाने हैं, वन्य प्राणी बचाने हैं तथा वनों से आजीविका के साधन पैदा करने हैं। जंगल है, तभी धरती पर हर्ष, उल्लास, आनंद है।
मुख्यमंत्री चौहान रविवार को राजधानी भोपाल के आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में दो दिवसीय वानिकी सम्मेलन (आईएफएस मीट-2023) को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर आईएफएस मीट-2023 का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर वन मंत्री कुंवर विजय शाह भी उपस्थित रहे। यह मीट दो दिन चलेगी। इसमें आईएफएस (इंडियन फॉरेस्ट सर्विस) अधिकारी अपनी फैमिली के साथ शामिल हुए हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले कहा कि एक ही चित तत्व हम सब में है, एक ही चेतना हम सब में अधिसूचित है। यही भारत की संस्कृति का सार है। गंगा सिंधु सरस्वती च यमुना गोदावरी नर्मदा कावेरी सरयू महेन्द्रतनया चर्मण्यवती वेदिका। क्षिप्रा वेत्रवती महासुरनदी ख्याता जया गण्डकी पूर्णाः पूर्णजलैः समुद्रसहिताः कुर्वन्तु मे मंगलम्। नदियों के बिना जीवन नहीं चल सकता,इसलिए हम नदियों को माता कहते हैं। भारत ने हजारों साल पहले जो कहा, उसे आज दुनिया मान रही है। भारत ने कहा कि प्रकृति का दोहन करो, शोषण नहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पेड़ों में लगे फल को तोड़ना, दोहन है और पेड़ को ही काट दो, तो यह शोषण है। यदि हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को सुरक्षित रखना है, तो हमें वनों और वन्य प्राणियों की चिंता करनी होगी। भारत का दर्शन जियो और जीने दो का है। हमारे यहाँ पशु-पक्षियों में भी एक ही चेतना मानी गई है। इसलिए भारत में देवताओं के अवतार भी पशुओं के रूप में हुए हैं। हमारी सोच है कि वन प्राणियों के बिना धरती टिक नहीं सकती। मैं वन विभाग को बधाई देता हूं कि आपने लगभग 1400 वर्ग किमी सघन बढ़ाने का काम किया है। हमें पुराने वनों के संरक्षण के साथ नये वनों के विकास के लिए प्रयास करते रहना है।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने प्रकृति पूजन का संदेश दिया। प्रकृति के बिना, पेड़ों के बिना, नदियों के बिना हमारा काम नहीं चल सकता। मैं प्रतिदिन पौधरोपण करता हूं और साथ अनेक लोग सहभागिता करते हैं। अभियान चलाकर हमने पौधरोपण के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया। मुझे खुशी है कि अंकुर अभियान से जुड़कर लगभग 67 लाख से अधिक लोग अब तक पौधे लगा चुके हैं।
पन्ना को बाघों से वन अमले ने गुलजार किया
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मप्र बाघधानी है, टाइगर स्टेट है। हम वल्चर स्टेट, लेपर्ड, घड़ियाल स्टेट हैं। अब चीता धानी भी मप्र बन गया है। पन्ना में बाघों का पुनर्स्थापन बड़ी उपलब्धि है। 2007-2008 में बाघ बचे ही नहीं थे। आज पन्ना बाघों से गुलजार है। हमने गिद्धों की प्रजाति बचा ली। इन सफलता की कहानियों की शॉर्ट मूवी बनाओ। जो वन के विनाश के कारण माफिया हैं, उनको कुचल देना एक उपाय है। लेकिन, वन में रहने वाले आदिवासियों की आजीविका चलाते हुए हम आगे बढ़ें।