अहमदाबाद,10 जून । कोरोना प्रकोप के बीच गुजरात के लिए एक अच्छी खबर आयी है। राज्य के जिलों में रहने वाले एशियाई शेरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पिछले पांच साल में शेरों की संख्या मेें 151 की वृद्धि हुई है। 2015 में जनगणना में शेरों की संख्या 523 थी। अब पांच साल बाद 2020 में शेरों की संख्या बढ़कर 674 हो गई है। शेरों की वृद्धि को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ट्वीट कर प्रसन्नता जताई है।
गुजरात के आठ जिलों, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, बोटाद, पोरबंदर, राजकोट और सुरेंद्रनगर में शेर की दहाड़ गूंजती है। शेर गुजरात का गौरव हैं। वन विभाग ने 05 जून को पूनम दिवस पर 24 घंटे के लिए सिंह अवलोकन किया गया। यह अवलोकन पिछले सात वर्षों से वन विभाग हर पूनम दिवस पर करता है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शेरों की विचरण सीमा भी 30,000 वर्ग किमी तक बढ़ गई है। 2015 में यह 22,000 वर्ग किमी की तुलना में 36 फीसदी की वृद्धि हुई है। एक अधिकार ने बताया कि 2001 की तुलना में शेरों की आबादी दोगुनी हो गई है, जबकि इसके पैरों के निशान 400 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
कहा जाता है कि जूनागढ़ के नवाबों ने शेरों के प्रजनन पर काम शुरू किया था। तब से गुजरात में शेरों की आबादी में लगातार वृद्धि हुई है। इससे पहले शेरों की गिनती 2015 में हुई थी, जब आबादी 27 फीसदी बढ़ी थी। 2015 की जनगणना के अनुसार, गुजरात के आठ जिलों में 523 शेर रहते थे। वर्ष 2020 की गणना में पूरे क्षेत्र में 161 वयस्क नर शेर, 260 मादा शेर हैं। 45 नर शेर, 49 मादा शेर और 22 अज्ञात मादा किशोरावस्था में हैं। इसके अलावा शेर के शावकों की संख्या 137 है। इस प्रकार कुल 674 शेर हैं। शेरों की गणना हर पांच साल में की जाती है। 1990 से 2020 तक हर पांच साल में शेरों की संख्या में वृद्धि हुई है। वर्ष 1990 में केवल 284 शेर थे। इसके बाद 1995 की गणना में 304, 2001 में 327, 2005 में 359, 2010 में 411 और 2015-523 शेरों की गिनती हुई थी। इस साल शेरों की गणना में 674 शेर गिने गए।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर बताया कि ‘गुजरात के गिर फोरेस्ट में रहने वाले एशियाई शेरों की आबादी करीब 29 प्रतिशत बढ़ी है। उनके रहने का दायरा भी 36 प्रतिशत बढ़ा है। इसके लिए उन्होंने सभी लोगों को बधाई दी है।